बजट में मध्यमवर्ग, नौकरीपेशा को इनकम टैक्स स्लैब में मिल सकती है राहत, घर खरीदारों को भी तोहफा
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, चालू खाते का घाटा मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 36.4 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 4.4 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो पहली तिमाही अप्रैल-जून में 18.2 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 2.2 प्रतिशत था।
सरकार 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पेश होने वाले बजट में मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को इनकम टैक्स स्लैब में कुछ राहत दे सकती है। इसके अलावा, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों का दायरा बढ़ाये जाने की भी संभावना है। जाने-माने अर्थशास्त्री और शोध संस्थान सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज के चेयरमैन सुदिप्तो मंडल ने यह संभावना जतायी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में एक फरवरी को 2023-24 का बजट पेश करेंगी। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले यह उनका अंतिम पूर्ण बजट है।
घर खरीदारों को भी मिल सकता है तोहफा
उन्होंने कहा, हालांकि, बहुत हद तक संभव है कि वित्त मंत्री छूट सीमा (कर स्लैब औेर निवेश सीमा) या मानक कटौती को बढ़ाकर कुछ राहत देने की घोषणा करेंगी।’ एक अन्य सवाल के जवाब में अर्थशास्त्री ने कहा, रियल्टी क्षेत्र अभी लंबी अवधि के बाद पटरी पर आना शुरू हुआ है। साथ ही यह रोजगार बढ़ाने वाला क्षेत्र है। ऐसे में अगर आवास ऋण को लेकर ब्याज भुगतान पर छूट की सीमा बढ़ायी जाती है, तो यह स्वागतयोग्य कदम होगा। उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, पीएलआई योजना से कुछ क्षेत्रों में उत्पादन को बढ़ावा मिला है। लेकिन इसका लाभ मुख्य रूप से संगठित क्षेत्र के बड़े उद्यमों को गया। मुझे उम्मीद है कि इस योजना को अधिक रोजगार सृजित करने वाले क्षेत्रों तक बढ़ाया जा सकता है।
पीएलआई का दायरा बढ़ाने की जरूरत
उन क्षेत्रों के लिये योजना लागू करना बेहतर होगा, जो अपने उत्पादन का बड़ा हिस्सा निर्यात करते हैं। इससे निर्यात वाले क्षेत्रों में उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।’’ उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री ने देश में विनिर्माण को गति देने और रोजगार सृजित करने के इरादे से 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना की घोषणा की है। यह योजना वाहन, वाहन कलपुर्जा, उन्नत रसायनिक बैटरी, विशेष इस्पात जैसे क्षेत्रों में लागू की गयी है। कृषि के बारे में मंडल ने कहा, ‘‘कृषि क्षेत्र में, फसलों को लेकर विविधीकरण जरूरी है। हमारी मुख्य चुनौती चावल, गेहूं और गन्ने जैसी अधिक पानी की खपत वाले वाले फसलों की जगह दूसरे फसलों को बढ़ावा देने की है। हाल में मोटे अनाज पर जो ध्यान दिया गया है, वह स्वागतयोग्य है। यदि बजट में बाजरा, दलहन और तिलहन जैसी फसलों के लिए खाद्य नीति व्यवस्था, खरीद और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बदलाव की घोषणा की जाती है, तो यह अच्छा कदम होगा। व्यय बजट में इसके लिये महत्वपूर्ण प्रावधान किये जाने की उम्मीद है।
बजट में रोजगार पर जोर देने की जरूरत
उन्होंने कहा, इसके अलावा, चालू खाते का घाटा (कैड) भी संतोषजनक स्तर से ऊपर है। इन सब चीजों को देखते हुए, मेरा मानना है कि रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये अपना प्रयास जारी रखेगा, जबकि बजट में आर्थिक वृद्धि खासकर रोजगार बढ़ाने वाली वृद्धि तथा निर्यात को बढ़ावा देने वाले उपायों पर विशेष गौर किया जाना चहिए। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, चालू खाते का घाटा मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 36.4 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 4.4 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो पहली तिमाही अप्रैल-जून में 18.2 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 2.2 प्रतिशत था। कैड मुख्य रूप से वस्तुओं और सेवाओं के कुल निर्यात और आयात मूल्य का अंतर है। हालांकि, इसमें शुद्ध आय और (ब्याज और लाभांश आदि) तथा विदेशों से अंतरण (विदेशी सहायता आदि) भी शामिल होता है, लेकिन इनकी हिस्सेदारी काफी कम होती है।