डेलॉयट टच तोहमात्सु इंडिया एलएलपी (डेलॉयट इंडिया) के नए कैंपस कार्यबल रुझान 2024 के अध्ययन से पता चलता है कि देश में एमबीए स्नातकों के बीच नौकरी छोड़ने की दर बढ़ती जा रही है। खासकर एमबीए स्नातकों के बीच यह रुझान एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। डेलॉयट इंडिया की लेटेस्ट स्टडी के मुताबिक, कुल मिलाकर पूरे देश में नए लोगों, शीर्ष स्तर के परिसरों में एक और दो साल में कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की दर क्रमशः 21 प्रतिशत, 26 प्रतिशत और 28 प्रतिशत दर्ज की गई है।
इनोवेटिव व्यवहार अब वैकल्पिक नहीं रह गया
खबर के मुताबिक, डेलॉयट इंडिया के निदेशक नीलेश गुप्ता ने कहा कि इस वर्ष की स्टडी से संगठनों को अपनी अवधारणा रणनीतियों पर पुनर्विचार करने की गंभीर आवश्यकता का पता चलता है। खासकर एमबीए स्नातकों के लिए, जहां नौकरी छोड़ने की दर चिंताजनक रूप से अधिक है। प्रतिस्पर्धी बाजार में शीर्ष प्रतिभाओं को बनाए रखने के लिए इनोवेटिव व्यवहार अब वैकल्पिक नहीं रह गया है, बल्कि यह एक जरूरत बन गया है। उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में सफल होने के लिए शैक्षणिक संस्थानों को छात्रों को बहुमुखी कौशल से लैस करने की आवश्यकता है।
व्यावसायिक सफलता में एमबीए ग्रेजुएट्स का है महत्व
नौकरी छोड़ने की उच्च दर के बावजूद 70 प्रतिशत संगठन सक्रिय रूप से एमबीए स्नातकों की तलाश करते हैं, जो व्यावसायिक सफलता में उनके महत्व को दर्शाता है। अध्ययन से यह भी पता चला कि संगठनों द्वारा इंटर्नशिप और प्री-प्लेसमेंट ऑफर (पीपीओ) में क्रमशः औसतन 10 प्रतिशत और 26 प्रतिशत की गिरावट आई है।
डेलॉयट इंडिया कैंपस कार्यबल रुझान 2024 अध्ययन एक व्यापक सर्वेक्षण पर आधारित है। इसे 190 से अधिक संगठनों और 500 परिसर के आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया है। भारत में हर साल देशभर के कॉलेज या विश्वविद्यालयों से लाखों की संख्या में एमबीए ग्रेजुएट्स पास आउट हो कर निकलते हैं।
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