क्या आप जानते हैं कि भारत में विदेशी निवेश किसी देश से सबसे अधिक आता है। आपके दिमाग में अमेरिका या कोई यूरोपीय देश हो सकता है। हालांकि, ऐसा नहीं है। भारत में सबसे अधिक विदेशी निवेश सिंगापुर से आता है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग की ओर से जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2022-23 में अप्रैल-दिसंबर के दौरान 13 अरब डॉलर के एफडीआई के साथ सिंगापुर सबसे बड़ा निवेशक रहा। आंकड़ों के अनुसार, उसके बाद क्रमशरू मॉरीशस (4.7 अरब डॉलर), अमेरिका (करीब पांच अरब डॉलर), संयुक्त अरब अमीरात (3.1 अरब डॉलर), नीदरलैंड (2.15 अरब डॉलर), जापान (1.4 अरब डॉलर) तथा साइप्रस (1.15 अरब डॉलर) का स्थान रहा। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर क्षेत्र में चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में सबसे ज्यादा आठ अरब डॉलर का पूंजी प्रवाह हुआ। उसके बाद सेवा (6.6 अरब डॉलर), कारोबार (4.14 अरब डॉलर), रसायन (1.5 अरब डॉलर), वाहन उद्योग (1.27 अरब डॉलर) और निर्माण (बुनियादी ढांचा) गतिविधियों (1.22 अरब डॉलर) का स्थान रहा।
चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह में एफडीआई निवेश 15 प्रतिशत घटा
चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह अप्रैल-दिसंबर में देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 15 प्रतिशत घटकर 36.75 अरब डॉलर रहा है। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में एफडीआई प्रवाह 43.17 अरब डॉलर था। कुल एफडीआई प्रवाह आलोच्य अवधि में घटकर 55.27 अरब डॉलर रहा जो बीते वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में 60.4 अरब डॉलर था। कुल एफडीआई प्रवाह में इक्विटी निवेश, कमाई को फिर से निवेश करना और अन्य पूंजी शामिल है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह में सुधार की उम्मीद
भारत की उच्च आर्थिक वृद्धि और कारोबारी माहौल को अधिक बेहतर बनाने के उपायों के कारण आने वाले महीनों में देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) फिर से बढ़ने की उम्मीद है। रूस-यूक्रेन संघर्ष के मद्देनजर वैश्विक अनिश्चितता बढ़ने के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई इक्विटी प्रवाह घटा है। भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपनी उच्च वृद्धि को बरकरार रखा है, इसलिए एफडीआई प्रवाह में सुधार की उम्मीद है। मुद्रास्फीति का दबाव कम होने के साथ दुनियाभर में मौद्रिक सख्ती से भी राहत मिलेगी।
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