पहले पेजर और फिर वॉकी-टॉकी में हुए सीरियल ब्लास्ट्स ने लेबनान को हिलाकर रख दिया है। लेबनान में मंगलवार को एक के बाद एक कई पेजर में धमाके हुए और फिर बुधवार को वॉकी-टॉकी में हुए धमाकों ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। लेबनान में इन दो दिनों में हुए अलग-अलग धमाकों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 37 हो चुकी है जबकि 287 लोगों की हालत काफी गंभीर बताई जा रही है। बुधवार को कुल 25 लोगों की जानें गईं और 708 लोग जख्मी हुए। जबकि मंगलवार को 12 लोगों की मौत हुई और 2323 लोग घायल हुए। लेबनान में हुए इन धमाकों ने दुनियाभर के लोगों में दहशत पैदा कर दी है। यहां हम एक्सपर्ट की मदद से जानेंगे कि क्या भारत में भी इस तरह के हमले हो सकते हैं?
हमले के लिए अब बमबारी की जरूरत नहीं
जाने-माने साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल ने इंडिया टीवी के साथ खास बातचीत करते हुए कहा कि आज टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग एक अलग लेवल पर पहुंच गया है। पहले हम टेक्नोलॉजी के जरिए साइबर क्राइस होते हुए देखते थे। लेकिन अब उसी टेक्नोलॉजी की मदद से किसी डिवाइस को हथियार बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि पेजर या मोबाइल फोन को हथियार बनाने के साथ ही दुनिया में साइबर युद्ध का एक नया अध्याय शुरू हो चुका है। दुनियाभर में मौजूद मोबाइल फोन की संख्या इंसानों से भी ज्यादा है। पवन दुग्गल ने कहा कि अब आपको बमबारी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी और आप मोबाइल फोन से ही ब्लास्ट करा सकते हैं और नुकसान पहुंचा सकते हैं।
सरकार के उठाने होंगे कई अहम कदम
पवन दुग्गल ने कहा कि जिस तरह लेबनान में पेजर और वॉकी-टॉकी में धमाके कर हमले हुए हैं, इस तरह के हमले भारत में भी हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि लेबनान में हुए ये हमले भारत के लिए वेक-अप कॉल होना चाहिए। इस तरह के हमलों से बचने के लिए सरकार को कई तरह के जरूरी और महत्वपूर्ण कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार को देश में साइबर सुरक्षा के लिए एक नया कानून लाना चाहिए। सरकार को जल्द से जल्द नेशनल साइबर सिक्यॉरिटी स्ट्रेटजी को न सिर्फ घोषित करे बल्कि ये प्रभावशाली ढंग से लागू भी करे, जिस पर कई सालों से काम चल रहा है। मोबाइल फोन यूजर्स को इस तरह के हमले और साइबर सुरक्षा के प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरूक करना होगा।
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