5 प्वाइंट में समझिए बजट बनाने की पूरी प्रक्रिया, मोदी सरकार इस बार पेश करेगी अपना आखिरी पूर्ण बजट
आने वाले बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं क्योंकि यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट होगा। आप भी इन 5 बिन्दुओं से जानिए आखिर कैसे बनता है देश का बजट और क्या होती है पूरी प्रक्रिया।
घर का बजट बनाने से पहले हमे कई बातें सोचनी पड़ती हैं। कहां से कितनी आमदनी होगी और कहां कितना खर्च होगा, हाथ पर कुछ पैसे बचेंगे या उधार लेना पड़ेगा। कहां-कहां खर्च में कटौती संभव है और कहां उम्मीद से अधिक पैसा खर्च हो सकता है। यह सब हमें सोचना होता है, लेकिन जब बात देश के बजट बनाने की हो तो मामला और भी टेढ़ा हो जाता है। 1 फरवरी 2023 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करेंगी। आने वाले बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं क्योंकि यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट होगा। आप भी इन 5 बिन्दुओं से जानिए आखिर कैसे बनता है देश का बजट और क्या होती है पूरी प्रक्रिया।
अनुच्छेद 112 से जुड़ा है बजट
देश का बजट बनाने की प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण होती है। लंबे समय से इसकी तैयारी होती है। हजारों लोग दिन-रात एक करके पूरा हिसाब-किताब लगाते हैं। आपको बता दें कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार, केंद्रीय बजट किसी वर्ष सरकार की अनुमानित आमदनी और खर्च का लेखाजोखा होता है।
ली जाती है सबकी राय
आम बजट बनाने की प्रक्रिया में सहभागिता बढ़ाने के लिए वित्त मंत्रालय पिछले कई सालों से नागरिकों से सुझाव मांगता है। इस साल भी वित्त मंत्रालय ने बजट के लिए लोगों से आइडिया और सुझाव देने को कहा है। वित्त मंत्रालय उद्योग से जुड़े संगठनों और पक्षों से भी सुझाव मांगता है।
कौन बनाता है बजट
बजट बनाने की प्रक्रिया में वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और सरकार के अन्य मंत्रालय शामिल होते हैं। वित्त मंत्रालय हर साल खर्च के आधार पर गाइडलाइन जारी करता है। इसके बाद मंत्रालयों को अपनी-अपनी मांग को बताना होता है। वित्त मंत्रालय के बजट डिवीजन पर बजट बनाने की जिम्मेदारी होती है। यह डिवीजन नोडल एजेंसी होता है। बजट डिवीजन सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, स्वायत्त निकायों, विभागों और रक्षा बलों को सर्कुलर जारी करके उन्हें अगले वर्ष के अनुमानों को बताने के लिए कहता है। मंत्रालयों और विभागों से मांगें प्राप्त होने के बाद वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के बीच गहन चर्चा होती है। इसके अलावा आर्थिक मामलों का विभाग और राजस्व विभाग अर्थशास्त्रियों, कारोबारियों, किसान और सिविल सोसाइटी जैसे हितधारकों के साथ बैठक करते हैं। इस दौरान इनके विचार लिए जाते हैं। बजट-पूर्व बैठकों का दौर खत्म होने पर टैक्स प्रस्तावों पर अंतिम फैसला वित्त मंत्री के साथ लिया जाता है। बजट को अंतिम रूप देने से पहले प्रस्तावों पर प्रधानमंत्री के साथ चर्चा की जाती है।
इस तरह दिया जाता है अंतिम रूप
बजट के सभी डॉक्युमेंट्स चुनिंदा अधिकारी ही तैयार करते हैं। इस प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले सभी कंप्यूटर्स को दूसरे नेटवर्क से डीलिंक कर दिया जाता है। बजट पर काम कर रहा लगभग 100 लोगों का स्टाफ करीब 2 से 3 हफ्ते नॉर्थ ब्लॉक ऑफिस में ही रहता है, उनको बाहर आने की इजाजत नहीं होती। नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट स्थित प्रिंटिंग प्रेस में बजट से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी लगभग बंद कर दिए जाते हैं। बजट बनाने की प्रक्रिया के दौरान उन्हें अपने परिजनों तक से बातचीत करने अथवा मिलने की अनुमति नहीं होती है।
फिर होता है संसद में पेश
बजट पेश करने की तारीख पर सरकार लोकसभा स्पीकर की सहमति लेती है। इसके बाद लोकसभा सचिवालय के महासचिव राष्ट्रपति से मंजूरी लेते हैं। वित्त मंत्री लोकसभा में बजट पेश करते हैं। बजट पेश करने से ठीक पहले 'समरी फॉर द कैबिनेट' के जरिए बजट के प्रस्तावों पर कैबिनेट को संक्षेप में बताया जाता है। वित्त मंत्री के भाषण के बाद सदन के पटल पर बजट रखा जाता है। बता दें, इस बार बजट निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में तैयार किया जा रहा है।