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Hindi News पैसा बिज़नेस क्या आप भी खरीदना चाहते हैं अयोध्या में प्रॉपर्टी? जरूर ध्यान रखें ये 10 बातें

क्या आप भी खरीदना चाहते हैं अयोध्या में प्रॉपर्टी? जरूर ध्यान रखें ये 10 बातें

अयोध्या में प्रॉपर्टी के दाम काफी बढ़ गए हैं। राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से ही अयोध्या में प्रॉपर्टी के दाम बढ़ना शुरू हो गए थे। 22 जनवरी को मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होनी है। इसके बाद बड़ी संख्या में दर्शनार्थियों के आने की उम्मीद है।

अयोध्या में प्रॉपर्टी- India TV Paisa Image Source : FILE अयोध्या में प्रॉपर्टी

अयोध्या में राम मंदिर  (Ram Mandir ayodhya) निर्माण से यहां टूरिज्म को पंख लगने वाले हैं। प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में रोजाना 2-3 लाख दर्शनार्थियों के आने की उम्मीद है। इससे यहां ट्रैवल और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर बूम पर है। हर कोई यहां निवेश करना चाहता है। इससे अयोध्या में प्रॉपर्टी के रेट (Property Rate in Ayodhya) आसमान पर पहुंच गए हैं। लोग मुंह मांगी कीमतें देने को तैयार हैं। रियल एस्टेट ब्रोकर्स का कहना है कि अयोध्या में कई जगह प्रॉपर्टीज के दाम 4 से 10 गुना तक बढ़ गए हैं। यहां होमस्टे का बिजनस भी काफी फल-फूल रहा है। अगर आप भी अयोध्या में प्रॉपर्टी खरीदना-बेचना चाहते हैं, तो कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें। आइए जानते हैं।

1. प्रॉपर्टी खरीदने से कम से कम 15 दिन पहले खरीदार को सबरजिस्ट्रार के ऑफिस से एक सर्टिफिकेट प्राप्त करना चाहिए कि प्रॉपर्टी किसी भी तरीके के लोन या लोन के सभी मामलों से मुक्त है। इस सर्टिफिकेट के लिए चार्ज देना होगा। यह सर्टिफिकेट सेलर के लिए भी अच्छा है।

2. अगर प्रॉपर्टी पर कोई कर्ज है, तो खरीदार यह मान लेगा कि विक्रेता सभी पे किए जाने वाले लोन, टैक्स और चार्जेस (यदि कोई हो) का भुगतान करेगा। इस मुद्दे को पहले ही सुलझा लें और एग्रीमेंट में भी इसका जरूर उल्लेख करें।

3. लेन-देन को पूरा करने के लिए एक समय सीमा तय करें और उस समय सीमा के भीतर ही प्रॉपर्टी से संबंधित लेनदेन का निपटारा करें। प्रॉपर्टी बेचने के लिए हाउसिंग सोसाइटी से परमिशन या नो-ऑबजेक्शन सर्टिफिकेट लेने में ही समझदारी है। इसके अलावा इनकम टैक्स विभाग, सिटी लैंड सीलिंग ट्रीब्यूनल या नगरपालिका से अनुमति ले लें।

4. अगर आपकी अयोध्या में प्रॉपर्टी है और उसे बेचना चाहते हैं, तो या तो स्वयं से या किसी एजेंट के माध्यम से बेच सकते हैं। एजेंट इसमें काफी मददगार साबित हो सकते हैं। प्रॉपर्टी का विज्ञापन करना, ग्राहक को खोजना, उसे प्रॉपर्टी दिखाना, फिर उससे बातचीत करना, लेन-देन करना आदि में काफी समय लगता है।

5. वर्तमान में रियल एस्टेट की कई वेबसाइट्स हैं। यहां प्रॉपर्टी बेची या खरीदी जा सकती है। ऐसी वेबसाइट्स के माध्यम से संभावित ग्राहक तक पहुंचना आसान हो जाता है। यह जरूर ध्यान रखें कि बेची जाने वाली प्रॉपर्टी पर सेलर की ओनरशिप होनी चाहिए।

6. सेलर के पास इस बात का विवरण होना चाहिए कि बेची जाने वाली प्रॉपर्टी कब से सेलर के कब्जे में है। इससे जुड़ी जानकारी सबरजिस्ट्रार के ऑफिस से हासिल की जा सकती है। संबंधित प्रॉपर्टी पर कोई अन्य अधिकार या दावा नहीं होना चाहिए।

7. सेल वैल्यू और प्रॉपर्टी का पीरियड तय किया जाना जरूरी होता है। सेल के लेन-देन में सेलर को प्रॉपर्टी के राइट्स ग्राहक को ट्रांसफर करने होते हैं। इसके लिए एक सेल डीड बनानी होती है। इस डीड को रजिस्टर भी करना होता है। यह रजिस्ट्रेशन भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से होता है।

8. प्रॉपर्टी से जुड़ा एग्रीमेंट खरीदार और सेलर के बीच होता है। इस एग्रीमेंट में इस बात का जिक्र होता है कि जब तक खरीदार पूरी राशि का पेमेंट नहीं करता, तब तक प्रॉपर्टी का कब्जा सेलर के पास रहेगा।

9. इस सेल डीड में ओनरशिप ट्रांसफर,पेमेंट के तरीके, पैसे के आदान-प्रदान, स्टांप ड्यूटी, मिडलमैन आदि की जानकारी होती है। यह भी जान लें कि प्रॉपर्टी पर क्या कोई लैंड एग्रीमेंट है या नहीं।

10. लेन देन में यह स्पष्ट कर लें कि पेमेंट मंथली आधार पर किया जाना है या एकसाथ। साथ ही, किसी भी तरह के एग्रीमेंट में दोनों पक्षों की सहमति लिखित तौर पर जरूरी होती है।

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