झारखंड में तय टारगेट के मुताबिक शराब नहीं बिकने का सीधा असर सरकार के खजाने पर पड़ा है। आमदनी में कमी से चिंतित सरकार ने शराब बेचने के लिए बतौर कंसल्टेंट काम कर रही छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड को हटा दिया है। विभागीय मंत्री जगरनाथ महतो ने इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने अपनी एक्साइज पॉलिसी के रिव्यू का निर्णय लिया है। साल 2022-23 में राज्य सरकार ने शराब की बिक्री से सरकारी खजाने में 2310 करोड़ की रकम आने का अनुमान लगाया था, लेकिन अब तक सरकार को मात्र 1750 करोड़ रुपए की कमाई हुई है, जबकि वित्त वर्ष समाप्त होने में मात्र 20 दिन बचे हैं।
राजस्व लक्ष्य से 560 करोड़ रुपये पीछे
यह राशि निर्धारित राशि से 560 करोड़ रुपए कम है। हालांकि होली सीजन के दौरान एक से सात मार्च तक राज्य में लगभग 139 करोड़ रुपए की शराब बेची गयी है। पिछले ही साल सरकार ने जब एक्साइज की नई पॉलिसी लागू की थी, तब छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड को बतौर कंसल्टेंट नियुक्त करते हुए एक करोड़ रुपए की फीस तय की थी। दरअसल यह पॉलिसी छत्तीसगढ़ में लागू पॉलिसी के समान है। इसके तहत शराब की खुदरा बिक्री अपने हाथ में लेते हुए सरकार ने प्लेसमेंट एजेंसियों को दुकानें चलाने का जिम्मा सौंपा था। एजेंसियां तय लक्ष्य के अनुरूप शराब नहीं बेच पायीं तो सरकार ने उनपर 44 करोड़ का जुर्माना भी लगाया।
एक्साइज पॉलिसी की रिव्यू प्रक्रिया शुरू
बहरहाल, सरकार के आदेश के बाद एक्साइज पॉलिसी के रिव्यू की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। राज्य के मुख्य सचिव और सदस्य राजस्व पार्षद को इस संबंध में निर्देश दिया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार अब शराब का थोक कारोबार अपने हाथ में ले सकती है। इधर झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर शराब की बिक्री संघ को देने की मांग की है। संघ का कहना है कि अगर उसे शराब बिक्री का जिम्मा सौंपा गया तो वो सरकार को सालाना 3500 करोड़ रुपए का राजस्व देगा।
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