हेलमेट पर लगने वाले जीएसटी को लेकर अंतरराष्ट्रीय सड़क महासंघ (आईआरएफ) ने बुधवार को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद और वित्त मंत्रालय से इसे 18 प्रतिशत से घटाकर शून्य करने का आग्रह किया। आईआरएफ का कहना है कि ऐसा करने से इसके इस्तेमाल में बढ़ोतरी होगी। भाषा की खबर के मुताबिक, आईआरएफ ने एक बयान में कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में दोपहिया वाहन चालक सबसे अधिक असुरक्षित होते हैं। हेलमेट पर जीएसटी की दर कम करने से आम लोगों के लिए हेलमेट को ज्यादा आसान बनाने में मदद मिलेगी।
बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है
खबर के मुताबिक,आईआरएफ ‘बॉश रिपोर्ट’ का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया भर में सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले मामलों में से करीब 12 प्रतिशत भारत के हैं। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को करीब 15.71-38.81 अरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान होता है। आईआरएफ के मानद अध्यक्ष के.के.कपिला ने कहा कि दोपहिया वाहन चालक सबसे अधिक असुरक्षित होते हैं। सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले मामलों में से करीब 31.4 प्रतिशत लोगों की मौत मुख्य रूप से सिर में चोट लगने से होती है।
भारत में हेलमेट का इस्तेमाल कम
कपिला ने कहा कि दोपहिया वाहन दुर्घटनाओं से लगने वाली चोट या उससे जान गंवाने के मामले कम करने के सबसे प्रभावी उपायों में से एक है सही हेलमेट का इस्तेमाल। कपिला ने कहा कि भारत में हेलमेट का इस्तेमाल कम होता है। यह देखा गया है कि अधिकतर दोपहिया वाहन चालक आर्थिक रूप से कमजोर और निम्न आय वर्ग में आते हैं और वे सस्ते और घटिया किस्म के हेलमेट खरीदना पसंद करते हैं। हेलमेट एक एक जीवन रक्षक उपकरण है और वर्तमान में उस पर जीएसटी की लागू दर 18 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि आईआरएफ का मानना है कि हेलमेट पर जीएसटी नहीं लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे अच्छे हेलमेट आम जनता के लिए अधिक किफायती बनेंगे और वे घटिया गुणवत्ता वाले हेलमेट खरीदने से हतोत्साहित होंगे। केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 129 के मुताबिक दोपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य है।
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