IRCTC यूजर्स का डेटा (Data) बेचकर पैसा कमाने की तैयारी में है। इसके लिए कंपनी ने टेंडर भी निकाल दिया है। ऐसे में यूजर्स (Users) के मन में ये सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार अब यूजर्स के डेटा (Data) को बेचकर 1000 करोड़ की रेवेन्यू जुटाएगी? फिर यूजर्स की प्राइवेसी और सेफ्टी का क्या होगा? क्या अब आपका पर्सनल डिटेल पब्लिक हो जाएगा? इन सभी सवालों का जवाब आज जानने की कोशिश करेंगे।
क्या है IRCTC का प्लान?
IRCTC टिकट बुकिंग आर्म डिजिटल मोनेटाइजेशन के जरिए 1000 करोड़ रुपये कमाने की योजना बना चुकी है। इस खबर के बाहर आते ही कंपनी के शेयर में उछाल आ गया है। शुक्रवार सुबह 712 रुपये के भाव पर खुला शेयर अब 746 रुपये के करीब पहुंच गया है। कंपनी ने जारी किए टेंडर में कहा है कि आईआरसीटीसी एक कंसलटेंट हायर करेगी जो यूजर्स के डेटा को मोनेटाइज करने के तरीकों पर अपनी राय देगा। बता दें, कंपनी के पास 100 टीबी से अधिक यूजर्स का डेटा है, जिसमें नाम, पता, नंबर से लेकर और भी कई जरूरी जानकारी शामिल है।
यूजर्स की प्राइवेसी और सेफ्टी का क्या होगा?
अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक, IRCTC अपने पास मौजूद 100TB डेटा को एक साथ बेचने नहीं जा रही है। हालांकि इसे कई खेप में बेचने की तैयारी है। इससे आपकी प्राइवेसी और सेफ्टी पर कितना असर पड़ेगा? इसके बारे में अभी तक सही जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन उम्मीद जताया जा रहा है कि यूजर्स के डेटा का इस्तेमाल उसके एक्टिविटी को ट्रैक करने में किया जा सकता है। जैसे- आप क्या खाना पसंद करते हैं? आपके पसंद से जुड़ी कंपनी को आपका डेटा शेयर कर दिया जाए तो आप जब अगली बार ट्रैवल करें तो आपको उस कंपनी से जुड़े नोटिफिकेशन आने लगे। आपके पास कैब सर्विस के कॉल आने लगे।
क्या कहता है IIF?
IFF (इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन) एक ऐसी संस्था है जो इंटरनेट से जुड़ी डेटा पर नजर रखती है और यूजर्स की सेफ्टी के लिए काम करती है। IFF ने चिंता जताई है। उसका कहना है कि डेटा प्रोटेक्शन कानून नहीं होने की स्थिति में IRCTC इस डेटा को तीसरे पार्टी को बेच सकती है। हालांकि इस मसले पर IRCTC का कहना है कि वह यूजर्स के एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने के लिए ऐसा कर रही है। इसके साथ ही उसे कुछ पैसे भी मिल जाएंगे। हालांकि, आपका डेटा पब्लिक होगा या नहीं। इस बात की पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है।
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