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Hindi News पैसा बिज़नेस IRCTC ने ग्राहकों के डेटा बेचने की स्कीम पर लिया यूटर्न, टेंडर वापस लेते हुए बताया ये कारण

IRCTC ने ग्राहकों के डेटा बेचने की स्कीम पर लिया यूटर्न, टेंडर वापस लेते हुए बताया ये कारण

IRCTC ने तमाम विवादों के बाद आखिरकार अपने फैसले को वापस करने का निर्णय ले लिया है। अब कंपनी अपने ग्राहकों के डेटा का मोनेटाइजेशन (Monetization) नहीं करेगी।

IRCTC ने ग्राहकों के डेटा...- India TV Paisa Image Source : ANI IRCTC ने ग्राहकों के डेटा बेचने पर लिया यूटर्न

IRCTC ने तमाम विवादों के बाद आखिरकार अपने फैसले को वापस करने का निर्णय ले लिया है। अब कंपनी अपने ग्राहकों के डेटा का मोनेटाइजेशन (Monetization) नहीं करेगी। अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि प्राइवेसी पर गहन चिंता करने के बाद यह फैसला किया गया है। आईआरसीटीसी ने शुक्रवार को सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति को बताया कि टेंडर को वापस ले लिया गया है। इस समिति के अध्यक्ष कांग्रेस नेता शशि थरूर हैं। 

संसदीय समिति ने किया तलब

डिजिटल आंकड़ों से पैसा कमाने के लिए कंपनी को एक सलाहकार की नियुक्ति करना था। उसके लिए एक टेंडर भी निकाला गया था। इसे लेकर संसदीय समिति नेआईआरसीटीसी के अधिकारियों को तलब किया था। आईआरसीटीसी की प्रबंध निदेशक और चेयरपर्सन रजनी हसीजा अन्य अधिकारियों के साथ समिति के सामने पेश हुईं और समिति को टेंडर वापस लिए जाने की सूचना दी। कंपनी के तरफ से समिति को बताया गया कि आईआरसीटीसी की वार्षिक आम बैठक में टेंडर वापस लेने के बारे में फैसला किया गया था।

क्या था IRCTC का प्लान?

IRCTC टिकट बुकिंग आर्म डिजिटल मोनेटाइजेशन के जरिए 1000 करोड़ रुपये कमाने की योजना बना चुकी थी। कंपनी ने जारी किए टेंडर में कहा था कि आईआरसीटीसी एक कंसलटेंट हायर करेगी जो यूजर्स के डेटा को मोनेटाइज करने के तरीकों पर अपनी राय देगा। बता दें, कंपनी के पास 100 टीबी से अधिक यूजर्स का डेटा है, जिसमें नाम, पता, नंबर से लेकर और भी कई जरूरी जानकारी शामिल है। 

IIF ने जताई थी चिंता?

IFF (इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन) एक ऐसी संस्था है जो इंटरनेट से जुड़ी डेटा पर नजर रखती है और यूजर्स की सेफ्टी के लिए काम करती है। IFF ने चिंता जताई थी कि डेटा प्रोटेक्शन कानून नहीं होने की स्थिति में IRCTC इस डेटा को तीसरे पार्टी को बेच सकती है। हालांकि इस मसले पर उस समय IRCTC ने कहा था कि वह यूजर्स के एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने के लिए ऐसा कर रही है। इसके साथ ही उसे कुछ पैसे भी मिल जाएंगे।

यूजर्स को कितना था खतरा

अगर कंपनी डेटा मोनेटाइजेशन में कामयाब हो जाती तो इससे यूजर्स के प्राइवेसी और सेफ्टी पर कितना असर पड़ेगा? इसके बारे में अभी तक सही जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन उम्मीद जताया जा रहा था कि यूजर्स के डेटा का इस्तेमाल उसके एक्टिविटी को ट्रैक करने में किया जा सकता है। जैसे- आप क्या खाना पसंद करते हैं? आपके पसंद से जुड़ी कंपनी को आपका डेटा शेयर कर दिया जाए तो आप जब अगली बार ट्रैवल करें तो आपको उस कंपनी से जुड़े नोटिफिकेशन आने लगे। आपके पास कैब सर्विस के कॉल आने लगे।

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