सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनियों-आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल को जुलाई-सितंबर तिमाही में सम्मिलित रूप से 21,270 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है। यह संभवतः पहला मौका होगा जब इन कंपनियों को लगातार दूसरी तिमाही में घाटा होगा। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भी सामूहिक रूप से 18,480 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा था।
पेट्रोल-डीजल की कीमतें नहीं बढ़ाने से घाटा
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने पेट्रोलियम क्षेत्र के बारे में जारी एक आकलन रिपोर्ट में कहा है कि तीनों पेट्रोलियम विपणन कंपनियां दूसरी तिमाही में भी कमजोर विपणन घाटे की स्थिति में फंसी रहीं और रिफाइनिंग मार्जिन में भी पर्याप्त सुधार नहीं देखा गया। उत्पादन की लागत के अनुरूप पेट्रोल एवं डीजल की कीमतें नहीं बढ़ाने से तेल कंपनियों को घाटा होने के आसार हैं। इन पेट्रोलियम कंपनियों ने अभी तक जुलाई-सितंबर तिमाही के अपने वित्तीय आंकड़े जारी नहीं किए हैं। इस महीने के अंत तक या अगले महीने की शुरुआत में तीनों कंपनियों के परिणाम आने की संभावना है। वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि नहीं करने से हुए नुकसान ने पेट्रोलियम कंपनियों के रिकॉर्ड रिफाइनिंग मार्जिन का सफाया कर दिया था। जहां पेट्रोल एवं डीजल पर आने वाली लागत और उसके बिक्री मूल्य के बीच का फासला कम हुआ है।
रिफाइनिंग मार्जिन दूसरी तिमाही में घट गया
वहीं, रिफाइनिंग मार्जिन दूसरी तिमाही में घट गया है। ब्रोकरेज फर्म ने कहा, ‘‘दूसरी तिमाही में यह स्थिति और बिगड़ सकती है। सकल रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) घटने से दूसरी तिमाही में कंपनियों का खुदरा बिक्री घाटा 9.8 रुपये प्रति बैरल पर आ सकता है, जबकि पहली तिमाही में यह 14.4 रुपये प्रति बैरल रहा था।’’ आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने कहा कि कुल मिलाकर तीनों पेट्रोलियम कंपनियां दूसरी तिमाही में अपनी ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन पूर्व आय (एबिटा आय) में 14,700 करोड़ रुपये की कमी और 21,270 करोड़ रुपये के शुद्ध घाटे में रह सकती हैं। पेट्रोल और डीजल के अलावा इन कंपनियों ने रसोई गैस के रूप में इस्तेमाल होने वाली एलपीजी के दाम भी अपनी उत्पादन लागत के अनुरूप नहीं बढ़ाए हैं।
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