वैश्विक स्तर पर मौजूदा ऊर्जा संकट न केवल महंगाई को बढ़ा रहा है और आर्थिक वृद्धि को धीमा कर रहा है, बल्कि समाज के स्तर पर अव्यवस्था भी पैदा कर रहा है। इसके लिये सतत और समावेशी ऊर्जा बदलाव को लेकर नये समाधान की जरूरत है। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। यह रिपोर्ट स्विट्जरलैंड के दावोस में होने वाली सालाना बैठक से पहले जारी की गयी है। इसमें कहा गया है कि दुनिया एक अभूतपूर्व वैश्विक ऊर्जा संकट की चपेट में है। लेकिन इसका ऐसा कोई समाधान नहीं है जो रातों-रात हो जाए।
रिपोर्ट के अनुसार, पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने के लिये एकमात्र समाधान कम कार्बन उत्सर्जन वाली व्यवस्था की ओर आगे बढ़ना है। इसके लिये व्यापक स्तर पर ऊर्जा प्रणालियों का फिर से मूल्यांकन करने की जरूरत है। जिनेवा स्थित विश्व आर्थिक मंच ने संभावित झटकों से निपटने में सक्षम सतत रूप से सुरक्षा को आगे बढ़ाने वाले समाधानों को प्राथमिकता देने का आह्वान किया।
‘ऊर्जा बदलाव सुरक्षित करना’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में दीर्घकालिक लक्ष्यों और तत्काल उठाये जाने वाले कदमों के साथ 10 प्रमुख कार्ययोजनाओं का प्रस्ताव किया गया है। इसमें उपयुक्त और टिकाऊ ऊर्जा बदलाव के लिए ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देने को लेकर रूपरेखा पेश की गई है।
इन समाधानों में नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश को प्राथमिकता, अधिक-से-अधिक घरों को विद्युतीकरण के अंतर्गत लाना तथा खपत के स्तर पर दक्षता को बढ़ाना आदि शामिल है। डब्ल्यूईएफ में ऊर्जा मामलों के प्रमुख रॉबर्ट बोका ने कहा, ‘‘ऊर्जा संकट ने राजनीतिक और कॉरपोरेट एजेंडे में ऊर्जा सुरक्षा को सबसे ऊपर ला दिया है। अब जो वैश्विक संकट है, वह सभी के लिये एक सुरक्षित, टिकाऊ और किफायती ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ने का एक अवसर है।’’
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