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Hindi News पैसा बिज़नेस जब बदल गया बजट पेश करने का समय... अटल सरकार ने क्यों तोड़ी अंग्रेजों की यह परंपरा?

जब बदल गया बजट पेश करने का समय... अटल सरकार ने क्यों तोड़ी अंग्रेजों की यह परंपरा?

Interesting Facts about Budget : अंग्रेजों के समय शाम को 5 बजे बजट पेश किया जाता था। अंग्रेजों ने अपनी सुविधा के हिसाब से इस समय का चुनाव किया था। लेकिन आजादी के दशकों बाद भी भारत में शाम 5 बजे ही बजट पेश होता रहा।

बजट 2024- India TV Paisa Image Source : FILE बजट 2024

संसद के कामकाज में ऐसे कई नियम थे, जो अंग्रेजों ने अपनी सुविधा के हिसाब से बनाए थे। लेकिन आजादी के बाद भी वे लंबे समय से चले आ रहे थे। धीरे-धीरे इन नियमों को बदला गया। ऐसा ही एक नियम अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की सरकार में बदला गया। यह नियम बजट पेश करने की टाइमिंग (Timing of Budget Presentation) से जुड़ा हुआ था। पहले देश का आम बजट शाम को 5 बजे पेश होता था। अंग्रेजों ने अपनी सुविधा के हिसाब से इस समय को चुना था। लेकिन आजादी के बाद भी कई दशकों तक बजट शाम के 5 बजे ही पेश होता रहा। इसके बाद अटल सरकार के समय बजट पेश करने का टाइम बदला गया। आइए जानते हैं कि ऐसा क्या कारण था कि अंग्रेज शाम को 5 बजे बजट पेश करते थे।

अंग्रेज शाम को क्यों पेश करते थे बजट?

अंग्रेजों के जमाने में शाम को 5 बजे बजट पेश करने की वजह ब्रिटेन का बजट था। ब्रिटेन में सुबह 11 बजे बजट पेश किया जाता था। इसमें भारत का बजट भी शामिल होता था। उसी समय भारतीय संसद में भी बजट पेश करना जरूरी था। जब ब्रिटेन में सुबह के 11:30 बजते हैं, तो भारत में शाम के 5 बजे का वक्त होता है। ऐसे में भारत में शाम के 5 बजे बजट पेश होता था। लेकिन आजादी के दशकों बाद भी संसद में अंग्रेजों की इस परंपरा को निभाया गया।

यशवंत सिन्हा ने बदली परंपरा

अंग्रेजों की इस परंपरा को अटल सरकार में बदला गया। साल 2001 में भारत में एनडीए की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। तब तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बजट पेश क‍िये जाने का समय बदलकर शाम‍ 5 बजे से सुबह 11 बजे कर द‍िया था। इसके बाद आम बजट को हर साल संसद में सुबह 11 बजे ही पेश किया जाता है।

मोदी सरकार ने खत्म की अंग्रेजों की यह परंपरा

रेल बजट को आम बजट से अलग पेश करने की पंरपरा भी अंग्रेजों के समय से ही चली आ रही थी। नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में रेल बजट को अलग से पेश करने की परंपरा को खत्म कर दिया गया। रेल बजट की परंपरा को खत्म करने का सुझाव तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु की ओर से आया था।

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