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Hindi News पैसा बिज़नेस सस्ते लोन के लिए करना पड़ेगा और इंतजार, Repo Rate घटाने के पक्ष में नहीं है RBI, जानिए डिटेल

सस्ते लोन के लिए करना पड़ेगा और इंतजार, Repo Rate घटाने के पक्ष में नहीं है RBI, जानिए डिटेल

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि जब लक्ष्य की दिशा में टिकाऊ महंगाई प्रगति पर है, तो संतुलन-तटस्थ ब्याज दर का मुद्दा समय से पहले है। आरबीआई ने कहा कि मुद्रास्फीति धीरे-धीरे कम हो रही है, लेकिन इसकी रफ्तार धीमी और असमान है।

भारतीय रिजर्व बैंक- India TV Paisa Image Source : FILE भारतीय रिजर्व बैंक

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकान्त दास का मानना है कि 6.5 प्रतिशत की मौजूदा नीतिगत दर मोटे तौर पर संतुलित है और इस मोड़ पर नीति में ढील देने का कोई भी औचित्य भ्रामक हो सकता है। उन्होंने इस महीने की शुरुआत में मौदिक्र नीति समिति (MPC) की बैठक में यह बात कही थी। एमपीसी में रेपो रेट पर मतदान के दौरान दो सदस्यों ने दर में कटौती की वकालत की थी। नीतिगत दर पर निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई एमपीसी की पिछली बैठक छह से आठ अगस्त के बीच आयोजित की गई थी। इस दौरान आरबीआई ने लगातार नौवीं बार रेपो दर को अपरिवर्तित रखने की घोषणा की।

जारी हुए MPC बैठक के ब्योरे

रिजर्व बैंक ने गुरुवार को एमपीसी की इस बैठक के ब्योरे जारी किए। इसके मुताबिक, मई 2022 से नीतिगत रेपो दर में 2.50 प्रतिशत अंकों की वृद्धि और उसके बाद समायोजन वापस लेने के रुख में बदलाव ने 2022-23 में धीरे-धीरे महंगाई को कम करने में मदद की है। दास ने कहा था, "वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 4.5 प्रतिशत प्रमुख मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान के साथ, वर्तमान नीतिगत रेपो रेट मोटे तौर पर संतुलन में है और घरेलू आर्थिक गतिविधि के महंगे असर से बचाती है।"

नीति में ढील देने का कोई भी औचित्य हो सकता है भ्रामक

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि जब लक्ष्य की दिशा में टिकाऊ महंगाई प्रगति पर है, तो संतुलन-तटस्थ ब्याज दर का मुद्दा समय से पहले है। दास ने कहा, "वास्तविक दुनिया में नीति निर्माण एक अमूर्त, सैद्धांतिक और मॉडल-विशिष्ट निर्माण पर आधारित नहीं हो सकता है। इसलिए, तथाकथित उच्च वास्तविक दरों के आधार पर नीति में ढील देने का कोई भी औचित्य भ्रामक हो सकता है।" उन्होंने यह भी कहा कि मुद्रास्फीति धीरे-धीरे कम हो रही है, लेकिन इसकी रफ्तार धीमी और असमान है। खुदरा मुद्रास्फीति का चार प्रतिशत के लक्ष्य के साथ स्थायी तालमेल अभी भी कुछ दूर है। हालांकि, एमपीसी के दो सदस्यों- आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत अंकों की कटौती की वकालत की थी। लेकिन समिति के तीसरे बाहरी सदस्य शशांक भिडे ने अन्य तीन सदस्यों के साथ यथास्थिति के लिए मतदान किया था।

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