इंश्योरेंस रेगुलेटर आईआरडीएआई ने बैंकरों से आग्रह करते हुए कहा है कि वह अपनी मुख्य नौकरी पर ध्यान केंद्रित करें। अकेले इंश्योरेंस न बेचें। साथ ही सलाह भी दी है कि इंश्योरेंस की गलत बिक्री से बचें। आईआरडीएआई के अध्यक्ष डेबिस पांडा ने बैंकरों से यह बात कही है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के भी इसी तरह के सुझाव दिए जाने के एक दिन बाद पांडा ने कहा कि देश में बीमा की पहुंच को बढ़ाने में बैंकाश्योरेंस चैनल बहुत उपयोगी है।
कम लागत वाले डिस्ट्रीब्यूशन सॉल्यूशन की जरूरत
खबर के मुताबिक, पांडा ने बीते मंगलवार को एसबीआई द्वारा आयोजित वार्षिक बैंकिंग और अर्थव्यवस्था कॉन्क्लेव में कहा कि सिस्टम में योग्यता है, लेकिन हमें इसे देखभाल और सावधानी के साथ करना होगा ताकि आप अपनी गतिविधि को न भूलें और केवल बीमा बेचना शुरू करें। यह आकस्मिक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों को निश्चित रूप से कम लागत वाले डिस्ट्रीब्यूशन सॉल्यूशन की जरूरत होती है जैसे कि बैंकों द्वारा ऑफर किया जाता है। इसका असर देश भर में बड़े पैमाने होता है।
सभी को एक साथ बैठने की जरूरत
उन्होंने कहा कि बैंका चैनल एक बहुत ही उपयोगी चैनल है, लेकिन सिस्टम में बहुत सारे बीमारियों ने क्रेप किया है। हम सभी को एक साथ बैठने की जरूरत है, उस आत्मविश्वास को बहाल करने की जरूरत है। सीतारमण ने बैंकरों को अपनी मुख्य नौकरियों पर ध्यान केंद्रित करने और बीमा पॉलिसियों की गलत बिक्री से बचने के लिए कहा था, यह इंगित करते हुए कि कई बार, यह अप्रत्यक्ष रूप से एक बैंक ग्राहक के लिए उधार लेने की लागत बढ़ाने की ओर जाता है।
प्रमुख बैंकों ने बीमा कंपनियों को बढ़ावा दिया
यह मानने वाली बात है कि अधिकांश प्रमुख बैंकों ने बीमा कंपनियों को बढ़ावा दिया है, और बीमा कवर बेचने से काफी कमीशन अर्जित किया है जो इसे एक आकर्षक व्यवसाय बनाता है। पांडा ने एक विकसित भारत की बात दोहराई, जहां हर कोई पूरी तरह से कवर हो और सभी हितधारकों को इसके लिए काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आईआरडीएआई का काम कई तरह का है। उन्होंने कहा कि रेगुलेटर को वित्तीय स्थिरता बनाए रखने की जरूरत है।
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