Budget 2022: बीमा कंपनियों ने धारा 80 सी के तहत छूट की अलग श्रेणी बनाने का सुझाव दिया
इसलिए उद्योग की ओर से हम चाहते हैं कि कर छूट के लिए जीवन बीमा में निवेश की एक अलग धनराशि रखी जाए।
Highlights
- कर छूट के लिए जीवन बीमा में निवेश की एक अलग धनराशि रखने की मांग
- पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने सरल आयकर ढांचा लागू करने का सुझाव दिया है
- वित्त मंत्री की मुख्य चिंता 2022-23 के आम बजट में बढ़ती खाद्य महंगाई होगी
नई दिल्ली। जीवन बीमा उद्योग ने आगामी आम बजट में धारा 80 (सी) के तहत दी जाने वाली छूट में जीवन बीमा प्रीमियम के लिए अलग श्रेणी बनाने तथा बीमाधारकों के हित में पेंशन लाभ को कर मुक्त करने का सुझाव दिया है। एजिस फेडरल लाइफ इंश्योरेंस के सीएमओ और उत्पाद प्रमुख कार्तिक रमन ने बताया कि इस समय कर छूट के लिए 1.5 लाख रुपये श्रेणी काफी अव्यवस्थित है और इसमें जीवन बीमा प्रीमियम के जरिये कर छूट का पूरा लाभ पाने की ज्यादा गुंजाइश नहीं है।
उन्होंने कहा, हम छूट के मामले में कर लाभ के लिए एक अलग श्रेणी चाहते हैं, क्योंकि धारा 80 (सी) की सीमा 1,50,000 रुपये है और सब कुछ उसी के तहत आता है, जैसे पीपीएफ इसका हिस्सा है, और अगर किसी के पास आवास ऋण है, तो यह इसी से पूरा हो जाता है। उन्होंने कहा कि इसलिए उद्योग की ओर से हम चाहते हैं कि कर छूट के लिए जीवन बीमा में निवेश की एक अलग धनराशि रखी जाए।
एक फरवरी को आम बजट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को अगले वित्त वर्ष का आम बजट पेश करने वाली हैं। इसके साथ ही उद्योग ने अपनी बजट सिफारिशों में ‘एन्यूइटी’ या पेंशन उत्पादों को कर छूट के दायरे में लाने का अनुरोध किया है। इस समय पेंशन उत्पादों को वेतन के रूप में देखा जाता है, और इसलिए यह कर योग्य है। हालांकि, आमतौर पर यह उन लोगों को मिलती है, जो आय के नियमित स्रोत से बाहर चले गए हैं और वे ‘एन्यूइटी’ को आय के वैकल्पिक स्रोत के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा, जीवनयापन की लागत लगातार बढ़ रही है, और उन पर कर लगाना सही नहीं है। हम (सरकार से) अनुरोध कर रहे हैं कि क्या धारा 10 (10डी) के तहत ‘एन्यूइटी’ पर भी विचार किया जा सकता है और इसे कर मुक्त किया जा सकता है। आयकर अधिनियम की धारा 10 (10डी) बोनस सहित जीवन बीमा लाभों के लिए छूट की अनुमति देती है।
आयकर ढांचे को सरल बनाने की जरूरत
पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने सरकार को सुझाव दिया है कि आगामी बजट में नौकरीपेशा और आम लोगों को राहत देने के लिये चार कर दरों का एक सरल आयकर ढांचा लागू किया जाए और विभिन्न उपकरों तथा अधिभार को समाप्त कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि यह राज्यों के लिये भी न्यायसंगत होगा। गर्ग ने यह भी कहा कि वित्त मंत्री के लिये मुख्य चिंता 2022-23 के बजट में राजकोषीय घाटे को सामान्य स्तर पर लाने के साथ-साथ बढ़ती खाद्य और उर्वरक सब्सिडी को काबू में लाने की होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अपना चौथा बजट एक फरवरी को पेश करेंगी। गर्ग ने कहा, मौजूदा स्थिति में कर ढांचा जटिल है। कई सारे उपकर, अधिभार, कर की दरें और स्लैब हैं। इसके अलावा छूट के बिना कम दर पर कर देने की सुविधा या छूट के साथ सामान्य दर पर कर के भुगतान की व्यवस्था ने करदाताओं के लिये कर संरचना को जटिल बना दिया है।
बढ़ती महंगाई मुख्य चिंता
उन्होंने कहा, ऐसे में यह बेहतर होगा कि सरकार चार दरों का एक सरल आयकर ढांचा लागू करे और उपकरों तथा अधिभारों को समाप्त करे। यह राज्यों के लिये भी न्यायसंगत होगा। उल्लेखनीय है कि अभी आयकरदाताओं को स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर के अलावा सालाना 50 लाख रुपये से अधिक आय पर अधिभार भी देना होता है। साथ ही उपकर और अधिभार से प्राप्त राजस्व राज्यों के बीच विभाजित नहीं होता जिसको लेकर वे समय-समय पर सवाल उठाते रहे हैं। एक सवाल के जवाब में गर्ग ने कहा कि कर छूट सीमा बढ़ाने का फिलहाल मामला नहीं है क्योंकि 2019-20 के बजट में किये गये प्रावधान के अनुसार जिन लोगों की भी आय पांच लाख रुपये सालाना से कम है, वे आयकर से मुक्त है। बजट में सरकार के लिये प्राथमिकता के बारे में पूछे जाने पर पूर्व वित्त सचिव ने कहा कि वित्त मंत्री के लिये मुख्य चिंता 2022-23 के बजट में बढ़ती खाद्य, उर्वरक सब्सिडी के साथ मनरेगा पर बढ़े हुए खर्च को काबू में लाने की होगी।