नई दिल्ली। आसमान छूती महंगाई के बीच अगर आपको तेल, बिस्कुट, चिप्स और नमकीन के पैकेट उसी दाम में मिल रहे हैं तो इस भुलावे में मत रहिए कि कंपनियों ने इनके दाम नहीं बढ़ाए हैं। दरअसल, चिप्स, बिस्कुल, नमकीन के पैकेट का वजन घटाकर दौनिक उपयोग के उत्पाद बनाने वाली कंपनियां आपकी जेब हल्की कर रही हैं। बाजार के जानकारों का कहना है कि एफएमसीजी कंपनियों ने महंगाई में उछाल के बाद बढ़ी लगात की भरपाई के लिए यह तरीका निकाला है।
दाम में 1 रुपये की वृद्धि के बिना जेब पर बोझ बढ़ा
पारले-जी बिस्किट, बीकाजी नमकीन और कोलगेट टूथपेस्ट ऐसे ढेरों प्रोडक्ट हैं, जिनकी कीमत 1 रुपये भी नहीं बढ़ी, लेकिन फिर भी ये महंगे हो गए हैं। दरअसल इन उत्पाद की कीमत बढ़ाने के बजाए वजन में कटौती की गई है। जैसे पारले-जी बिस्किट की कीमत फरवरी में भी 5 रुपये थी और अब भी 5 रुपये ही है, लेकिन वजन 64 ग्राम से घटाकर 55 ग्राम हो गया है। इसी तरह कोलगेट के टूथपेस्ट 10 रुपये वाले पैकेट का वजन 25 ग्राम से घटाकर 18 ग्राम कर दिया गया है। कैडबरी सेलिब्रेशन पहले 100 रुपये में 150 ग्राम चॉकलेट का पैकेट देता था, जो अब घटकर 100 ग्राम हो गया है। इतना ही नहीं पहले 30 रुपये के पैकेट में 10 सेनेटरी पैड (sanitary pads) आते थे, जिन्हें अब घटाकर 7 कर दिया है। बीकाजी कंपनी पहले 10 रुपये में 80 ग्राम नमकीन देती थी, जिसे अब घटाकर आधा यानी 40 ग्राम कर दिया गया है।
मुनाफा के लिए मात्रा पर चली कैंची
कोरोना और रूस-यूक्रेन संकट से खाद्य उत्पाद के दाम आसमान छू रहे हैं। इससे कंज्यूमर उत्पाद बनाने वाली कंपनियों की लागत बढ़ी है। वह इसकी भरपाई के लिए मात्रा पर कैंची चला रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बीते एक साल में अधिकांश कमोडिटी की कीमतों में बड़ा उछाल आया है। इससे चलते एफएमसीजी कंपनियों की उत्पादन लगात बढ़ी है लेकिन वह कीमत बढ़ाने की स्थिति में नहीं है क्योंकि बाजार में अभी भी सुस्ती है। ऐसे में वो उत्पाद को हल्का कर मुनाफा को बरकरार रखना चाहती हैं।
छोटे पैकेट का बड़ा बाजार, दाम बढ़ाने पर जोखिम अधिक
चिप्स,बिस्किट और नमकीन के छोटे पैकेट का बाजार ज्यादा बड़ा है। इसमें पांच रुपये और 10 रुपये के पैकेट का एक अलग उपभोक्ता वर्ग है जिसकी संख्या अधिक है। ऐसे में इस श्रेणी में दाम बढ़ाने का जोखिम कोई भी कंपनी नहीं लेना चाहती है। इस स्थिति में कंपनियों को मात्रा घटाकर उसी कीमत पर बेचना मुनाफे का सौदा लगता है। एफएमसीजी के जानकारों का कहना है कि छोटे पैकेट श्रेणी के उत्पादों को काफी तैयारी के बाद बाजार में उतारा जाता है जिसपर भारी-भरकम खर्च होता है। इसमें सस्ते का भी आकर्षण होता है। यदि कीमत बढ़ाई जाती है तो फिर से उसकी ब्रांडिग करनी पड़ सकती है जो महंगा सौदा होता है। इसके अलावा आप कीमत बढ़ा देते हैं और दूसरी कंपनी वजह घटाकर उसी कीमत पर बेचने का फैसला करती है तो उससे आपके बाजार हिस्सेदारी खोने का डर होता है। ऐसे में वजन घटाना ही एकमात्र विकल्प होता है।
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