अभी 7.4% पर महंगाई दर, 4 फीसदी तक देखना पसंद करूंगी: Nirmala Sitharaman
Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मुद्रास्फीति दर, जो भारत में 7 प्रतिशत से अधिक है, वर्तमान में कुछ अन्य देशों की तुलना में प्रबंधनीय स्तर पर है।
Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मुद्रास्फीति दर, जो भारत में 7 प्रतिशत से अधिक है, वर्तमान में कुछ अन्य देशों की तुलना में प्रबंधनीय स्तर पर है। आलोचकों के अनुमानों को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने कहा कि सरकार इसे 6 प्रतिशत से कम करने के लिए काम कर रही है और इसे 4 प्रतिशत पर लाना चाहती है।
भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में
सीतारमण ने कहा कि इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल तत्व अच्छी स्थिति में हैं। उन्होंने कहा, मैं सेलिब्रेशन के लिए नहीं कह रही हूं, लेकिन यह सच है कि हम ठीक-ठाक काम कर रहे हैं।
विश्व बैंक समूह की वार्षिक बैठकों के लिए अपनी यात्रा के अंत में शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने जी-20 समूह के देशों की आगामी वर्ष भर की अध्यक्षता के लिए भारत की प्राथमिकताओं का एक व्यापक अवलोकन भी दिया, जिसमें द्विपक्षीय बैंकों, क्लाइमेट फाइनेंस और क्रिप्टोकरेंसी पर ध्यान केंद्रित करना आदि शामिल है।
सीतारमण ने पहली बार कही ये बात
सीतारमण ने पहली बार इस महीने की शुरूआत में मुद्रास्फीति के प्रबंधनीय स्तर पर होने की बात कही। उन्होंने न्यूज ब्रीफिंग में अधिक विस्तार से बात की। अर्थव्यवस्था के मूल सिद्धांतों को लेकर उन्होंने कहा, हम एक बेहतर स्थिति में हैं, इसलिए मैं दोहराती रहती हूं कि मुद्रास्फीति भी एक प्रबंधनीय स्तर पर है।
सितंबर में महंगाई दर 7.4 फीसदी पर पहुंच गई। उन्होंने कहा, मैं इसे 6 से और नीचे लाना पसंद करुं गी और हम इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने अन्य देशों, विशेष रूप से तुर्की की स्थिति की ओर इशारा किया, जहां अगस्त में वार्षिक मुद्रास्फीति दर 80 प्रतिशत थी।
सीतारमण ने संभवत: बढ़ती ऊर्जा कीमतों की ओर इशारा करते हुए कहा, बाहरी कारकों की वजह से देश बेहद गंभीर रूप से प्रभावित हो रहे हैं। हम भी प्रभावित हो रहे हैं। लेकिन विभिन्न उपायों के कारण हम इसे इस स्तर पर लाने में सक्षम हैं।
वित्त मंत्री ने जी-20 के दौरान दी ये जानकारी
वित्त मंत्री ने जी-20 के दौरान भारत द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों का भी समाधान किया और विश्व बैंक की बैठकों के दौरान संयुक्त विज्ञप्ति के साथ समूह की विफलता की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि 2022 समूह के लिए एक विवादास्पद वर्ष था और भारत सदस्यों के साथ मिलकर उन और अन्य चुनौतियों का सामना करेगा।
मंत्री ने नागरिक अधिकार निकायों और गतिविधियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभागों की कार्रवाई का भी बचाव किया। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, मैं व्यक्तिगत मामलों या दृष्टिकोण पर टिप्पणी नहीं करना चाहती, लेकिन निश्चित रूप से ऐसे उदाहरण हैं जो अलग हैं। अगर एजेंसी वहां जाती है तो उनके हाथ में कुछ प्रथम ²ष्टया सबूत होते हैं और उनमें से कुछ को मीडिया ने खुद भी कवर किया है कि संग्रहीत धन की मात्रा, कीमती आभूषण, सोना जब्त किया गया है, इसलिए इन पर कार्रवाई की जरुरत है।