महंगाई फिलहाल देश में अटल सत्य बन चुकी है। हर दिन बड़ी जरूरी सामानों की कीमतें अब आम इंसान को चौंकाती कम हैं, बल्कि हताश ज्यादा करती हैं। गुरुवार शाम आए अप्रैल महीने की महंगाई के आंकड़ों ने बीते 8 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। आम आदमी पर सबसे ज्यादा आफत खाने पीने के सामानों की कीमतों ने दी है, वहीं कपड़े लत्ते से लेकर जूतों तक के दाम सबसे ज्यादा बढ़े हैं।
सरकार की इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश के किस राज्य में महंगाई की मार सबसे ज्यादा है। वहीं कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां राष्ट्रीय औसत से महंगाई की दर काफी कम है। गुरुवार को आये आंकड़ों के अनुसार देश में महंगाई दर 7.79 प्रतिशत है। पिछले साल अप्रैल में खुदरा महंगाई 4.23 फीसदी पर थी। आंकड़ों पर गौर करें तो पश्चिम बंगाल, एमपी और यूपी जैसे राज्यों में महंगाई की दर राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है। वहीं उत्तराखंड हिमाचल और दिल्ली में लोगों पर महंगाई की मार दूसरे राज्यों से थोड़ी कम पड़ी है।
आंकड़ों में समझिए कहां है आपका राज्य
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देश के कई राज्य ऐसे हैं जहां राष्ट्रीय औसत महंगाई दर 7.79 फीसदी से अधिक है। इनमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र समेत मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में महंगाई इस औसत से ज्यादा है। यूपी में महंगाई 8.46, हरियाणा में 8.95, झारखंड में 7.80, मध्य प्रदेश में 9.10, महाराष्ट्र में 8.78 फीसदी महंगाई दर है। वहीं, दिल्ली में महंगाई दर केवल 6.58 फीसद है तो बिहार में 7.56 फीसद और उत्तराखंड में 6.77 फीसदी।
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कौन कौन सी चीेजें महंगी
अनाज | 5.96% |
मीट मछली | 6.97% |
दूध | 5.47% |
खाने का तेल | 17.28% |
फल | 4.99% |
सब्जी | 15.41% |
दालें | 1.86% |
मसाले | 10.56% |
सॉफ्ट ड्रिंक | 5.46% |
पान तंबाकू | 2.7% |
कपड़े जूते | 9.85% |
खुदरा और थोक महंगाई में अंतर
थोक महंगाई में थोक विक्रेताओं के बिंदु पर कीमतों में वृद्धि को मापा जाता है और केवल वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि को ध्यान में रखता है, जबकि खुदरा महंगाई में खुदरा विक्रेता के बिंदु पर मूल्य वृद्धि को मापा है और इसमें वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में बदलाव को शामिल किया जाता है। थोक महंगाई में सबसे अधिक 64.23 फीसदी भारांक विनिर्मित वस्तुओं का है। जबकि खुदरा महंगाई में सबसे अधिक 45.86 फीसदी भारांक खाद्य और पेय पदार्थों को दिया गया है।
बढ़ेंगी ब्याज दरें?
जनवरी, 2022 से खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। पिछले महीने रिजर्व बैंक की अचानक आयोजित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति के कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों में हुई भारी बढ़ोतरी का प्रतिकूल प्रभाव घरेलू बाजार में भी दिखाई दे रहा है, और आगे मुद्रास्फीति का दबाव जारी रहने की संभावना है। महंगाई पर लगाम लगाने के लिए आरबीआई ने हाल ही में रेपो रेट (Repo Rate) बढ़ाया था। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikant Das) ने इस महीने के शुरुआत में अचानक रेपो रेट में बढ़ोतरी की घोषणा की थी।
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