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Hindi News पैसा बिज़नेस MP Budget 2024 : मध्यप्रदेश के बजट से इंडस्ट्री खुश, मंडी शुल्क खत्म करने की भी थी उम्मीद, जानिए क्या कह रहे कारोबारी

MP Budget 2024 : मध्यप्रदेश के बजट से इंडस्ट्री खुश, मंडी शुल्क खत्म करने की भी थी उम्मीद, जानिए क्या कह रहे कारोबारी

प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर के कारोबारी संगठनों के महासंघ अहिल्या चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने इस बात के लिए बजट की सराहना की कि इसमें कोई नया कर नहीं लगाया गया है। उन्होंने हालांकि कहा कि मंडी शुल्क समाप्त किए जाने की आस इस बजट से भी पूरी नहीं हो सकी।

मध्य प्रदेश बजट- India TV Paisa Image Source : FILE मध्य प्रदेश बजट

उद्योग जगत ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मध्यप्रदेश सरकार के बुधवार को पेश बजट की सराहना की। उनका कहना है कि औद्योगिक विकास के लिए राशि के आवंटन में बड़े इजाफे से विकास को रफ्तार मिलेगी। हालांकि, कारोबारी समुदाय ने मंडी शुल्क खत्म किए जाने की पुरानी मांग इस बार भी पूरी नहीं होने पर बजट को लेकर निराशा जताई। मोहन यादव की अगुवाई वाली सरकार के पेश पहले पूर्ण बजट का कुल आकार 3.65 लाख करोड़ रुपये है जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 16 प्रतिशत अधिक है।

MSME से जुड़े विभागों के लिए आवंटन में हुआ इजाफा

पीथमपुर औद्योगिक संगठन (पीएएस) के अध्यक्ष गौतम कोठारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम बजट का स्वागत करते हैं, क्योंकि इसमें बड़े उद्योगों के साथ ही सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) से जुड़े विभागों के लिए राशि के आवंटन में खासा इजाफा किया गया है। बजट में बुनियादी ढांचे को मजबूत किए जाने पर भी जोर दिया गया है। इससे राज्य के विकास को गति मिलेगी।’’ पीएएस, राज्य के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर के 1,500 छोटे-बड़े उद्योगों का प्रतिनिधित्व करता है। पीएएस अध्यक्ष ने कहा कि बजट में ‘स्टार्ट-अप’ को बढ़ावा दिए जाने के लिए अलग से विशेष आवंटन किया जाना चाहिए था, क्योंकि राज्य में ऐसे उद्यम तेजी से बढ़ रहे हैं।

मंडी शुल्क खत्म ना होने से निराशा

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमेशचंद्र गुप्ता ने कहा, ‘‘हम इस बार प्रदेश के बजट में मंडी शुल्क समाप्त किए जाने के प्रावधान की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन यह उम्मीद इस बार भी अधूरी ही रह गई।" उन्होंने दावा किया कि मध्यप्रदेश में वसूले जाने वाले मंडी शुल्क के चलते तिलहन और कपास का प्रसंस्करण करने वाले कई कारखाने गुजरात और महाराष्ट्र जैसे पड़ोसी राज्यों में स्थानांतरित हो गए हैं, नतीजतन मध्यप्रदेश के सरकारी खजाने को हर साल कर राजस्व का बड़ा नुकसान हो रहा है। प

नया टैक्स नहीं होने की सराहना की

प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर के कारोबारी संगठनों के महासंघ अहिल्या चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने इस बात के लिए बजट की सराहना की कि इसमें कोई नया कर नहीं लगाया गया है। उन्होंने हालांकि कहा कि मंडी शुल्क समाप्त किए जाने की आस इस बजट से भी पूरी नहीं हो सकी। अर्थशास्त्री जयंतीलाल भंडारी ने कहा, ‘‘राज्य के इतिहास के सबसे बड़े 3.65 लाख करोड़ रुपये के बजट से विकास की राहें खुलेगी। इससे सभी तबकों के लोगों के चेहरों पर मुस्कुराहट आएगी।’’ उन्होंने बजट के इस अनुमान को ‘बेहद गंभीर’ करार दिया कि राजकोषीय घाटा प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद के 4.11 प्रतिशत के स्तर पर रहेगा। भंडारी ने कहा, ‘‘राज्य के इतिहास में राजकोषीय घाटे का अनुमान इतने ऊंचे स्तर पर पहले कभी नहीं रहा है।’’

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