भारतीय स्टार्टअप्स को बिजनेस करने के लिए नहीं मिल रही फंडिंग, रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
विलय एवं अधिग्रहण सौदों की संख्या बढ़ने के पीछे मध्यम आकार के सौदों में आई तेजी की अहम भूमिका रही है। अब तो एक नई रिपोर्ट सामने आ गई है।
Indian Startups: भारतीय स्टार्टअप कंपनियों में निवेश 2023 की पहली छमाही में 36 प्रतिशत गिरकर 3.8 अरब डॉलर रह गया है। पीडब्ल्यूसी इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, निवेशक व्यवसाय के हर पहलू की उचित जांच में अधिक समय ले रहे हैं। स्टार्टअप प्रोस्पेक्टिव के पहली छमाही 2023 के रिपोर्ट में कहा गया है कि मात्रा के हिसाब से कैलेंडर वर्ष 2023 की पहली छमाही में कुल निवेश का 57 प्रतिशत शुरुआती स्तर के सौदों के रूप में मिला। मूल्य के हिसाब से शुरुआती स्तर के सौदों का 2023 की पहली छमाही के कुल निवेश का लगभग 16 प्रतिशत हिस्सा रहा लेकिन पिछले साल से तुलना करने पर यह सबसे निचला स्तर बैठता है।
क्या कहता है रिपोर्ट
इसमें कहा गया कि भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में पिछले चार साल में सबसे कम निवेश कैलेंडर वर्ष 2023 की पहली छमाही में रहा। इस दौरान निवेश का आंकड़ा 298 सौदों के लिए 3.8 अरब डॉलर रहा, जो 2022 की पहली छमाही में आए 5.9 अरब डॉलर से लगभग 36 प्रतिशत कम है। जनवरी-जून, 2023 में सबसे ज्यादा निवेश पाने वाले क्षेत्र फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी, सॉफ्टवेयर सर्विस (एसएएएस), डी2सी रहे। रिपोर्ट के अनुसार, पिछली कुछ तिमाहियों के दौरान चुनौतीपूर्ण बाजार स्थितियों के बावजूद, निवेशकों ने सकारात्मक वृद्धि करने वाली कंपनियों में अपने निवेश को दोगुना करके अपनी पोर्टफोलियो कंपनियों के लिए मजबूत समर्थन दिखाया है।
मर्जर की आ गई नौबत
पैसा कम होने के चलते कंपनियां अपनी दो कंपनी को एक में मर्ज कर दे रही है। वर्ष 2023 के पहले छह महीनों में विलय एवं अधिग्रहण सौदों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बावजूद इन सौदों का मूल्य 75 प्रतिशत की भारी गिरावट के साथ 32.6 अरब डॉलर रह गया। वित्तीय बाजारों के आंकड़े देने वाली कंपनी रिफाइनिटिव ने बुधवार को कहा कि भारतीय कंपनी जगत में जनवरी-जून 2023 के दौरान विलय एवं अधिग्रहण के 1,400 से भी अधिक सौदे किए गए। यह एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 5.2 प्रतिशत अधिक और अब तक का रिकॉर्ड है। हालांकि इन सौदों के कुल मूल्य के लिहाज से 75 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई है। कैलेंडर वर्ष 2023 की पहली छमाही में हुए विलय एवं अधिग्रहण सौदों का मूल्य 32.6 अरब डॉलर रहा जबकि साल भर पहले की समान अवधि में एचडीएफसी बैंक में एचडीएफसी लिमिटेड के विलय की घोषणा से यह मूल्य बहुत अधिक था।