2021 का साल भारतीय शेयर बाजार के लिए मील का पत्थर रह है। कोरोना संकट के बीच बाजार ने नई ऊंचाइयां छुईं। लेकिन दूसरी ओर भारतीय करंसी रुपया के लिए 2021 का साल बेहद खराब रहा। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय मुद्रा रुपया एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी रही है। बीते लंबे समय से भारतीय रुपये में गिरावट का दौर जारी है। रिपोर्ट के अनुसार, इसके पीछे मुख्य वजह विदेशी निवेशकों की ओर से जारी बिकवाली है।
पिछले कुछ कारोबारी हफ्तों में विदेशी निवेशकों के रुख ने भारतीय रुपये की स्थिति कमजोर कर दी है। विदेशी निवेशकों ने बाजार से लगभग 4 बिलियन डॉलर की पूंजी निकाल ली है, जिससे कि रुपये की कीमत में इस तिमाही में 2.2% गिर गई है।
रुपये में कमजोरी का क्या है कारण
रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक फंड ने भारतीय शेयर बाजार से 420 करोड़ अमेरिकी डॉलर (करीब 31,920 करोड़ रुपये) निकाल लिए है। इतनी पूंजी एशिया में किसी भी शेयर बाज़ार से नहीं निकाली गई है। कोरोना वायरस के नए संक्रमण ओमिक्रॉन के कारण भारतीय शेयर बाज़ार पर लगातार दबाव दिख रहा है। ऐसे में निवेशकों की चिंताएं बढ़ गई है।
जानिए कितना गिरेगा रुपया
रिपोर्ट में QuantArt Market Solutions के एक्सपर्ट्स का हवाला देते हुए बताया गया है कि रुपया इस वित्त वर्ष के आखिरी तिमाही यानी मार्च, 2022 के अंत तक गिरकर 78 डॉलर प्रति रुपये की कीमत पर आ सकता है। इसके पहले इसका निचला स्तर अप्रैल, 2020 में 76.9088 पर था। ब्लूमबर्ग ने अपने एक ट्रेडर्स और एनालिस्ट्स सर्वे में यह अनुमान जताया था कि रुपये की कीमत 76.50 डॉलर रह सकती है। ऐसी आशंका है कि रुपया इस साल 4 फीसदी नीचे गिर सकता है। यह इसका गिरावट में लगातार चौथा साल होगा।
आपकी जेब में एक और महंगाई का छेद
रुपये की कमजोरी से सीधा असर आपकी जेब पर होगा। आवश्यक सामानों की कीमतों में तेजी के बीच रुपये की कमजोरी आपकी जेब को और छलनी करेगी। भारत अपनी जरुरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। अमेरिकी डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी। इसका सीधा असर हर जरूरत की चीज की महंगाई पर होगा।
मोबाइल लैपटॉप से लेकर कार तक सब महंगे
रुपये की कमजोरी से आपकी जरूरत के मोबाइल फोन, एक्सेसरीज, लैपटॉप, टीवी भी महंगे हो जाएंगे। भारत में अधिकतर मोबाइल की असेंबलिंग होती है जिसके पुर्जे विदेशों से आते हैं। यही हाल आटो सेक्टर पर भी है। यह सेक्टर पहले ही चिप की किल्लत से जूझ रहा है। वहीं अब मैटल और पार्ट भी महंगे होंगे।
विदेश में पढ़ना महंगा
इसका असर विदेश में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों पर रुपये की कमजोरी का खासा असर पड़ेगा। इसके चलते उनका खर्च बढ़ जाएगा। वे अपने साथ जो रुपये लेकर जाएंगे उसके बदले उन्हें कम डॉलर मिलेंगे। वहीं उन्हें चीजों के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। इसके अलावा विदेश यात्रा पर जाने वाले भारतीयों को भी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।
आईटी कंपनियों को दिखा फायदा
रुपये की कमजोरी से निर्यात क्षेत्र को राहत मिली है। खासतौर पर आईटी कंपनियों के लिए अच्छी खबर है। इससे उनकी कमाई में इजाफा होगा। इसी तरह एक्सपोटर्स को फायदा होगा, जबकि आयातकों को नुकसान होगा।
Latest Business News