भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में आई भारी गिरावट, जानिए कितना बचा है देश के पास रिजर्व
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, 26 अगस्त को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Indian Forex Reserves) 3.007 अरब डॉलर गिरकर 561.046 अरब डॉलर हो गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, 26 अगस्त को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Indian Forex Reserves) 3.007 अरब डॉलर गिरकर 561.046 अरब डॉलर हो गया है। भंडार में गिरावट का मुख्य कारण विदेशी मुद्रा एसेट्स (एफसीए) में गिरावट थी। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान एफसीए 2.571 अरब डॉलर गिरकर 498.645 अरब डॉलर रह गया।
आंकड़ों से पता चला है कि सोने का भंडार 27.1 करोड़ डॉलर घटकर 39.643 अरब डॉलर रह गया है। स्पेशल ड्रॉयिंग राइट्स (एसडीआर) 15.5 करोड़ डॉलर घटकर 17.832 अरब डॉलर रह गया। जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है, आईएमएफ के साथ देश की आरक्षित स्थिति भी समीक्षाधीन सप्ताह में 1 करोड़ डॉलर घटकर 4.926 अरब डॉलर हो गई।
क्या कहता है आरबीआई?
विदेशी मुद्रा भंडार घटने के पीछे विश्व में आर्थिक मंदी आने के संकेत भी है। भारतीय रिजर्व बैंक इसे कंट्रोल करने की लगातार कोशिशें कर रहा है। उसके हस्तक्षेप से मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर में कमी आई है। आरबीआई अधिकारियों के अध्ययन में यह कहा गया है। अध्ययन में 2007 से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मौजूदा समय में उत्पन्न उतार-चढ़ाव को शामिल किया गया है। केंद्रीय बैंक की विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप की एक घोषित नीति है। केंद्रीय बैंक यदि बाजार में अस्थिरता देखता है, तो हस्तक्षेप करता है। हालांकि, रिजर्व बैंक मुद्रा को लेकर कभी भी लक्षित स्तर नहीं देता है।
यूक्रेन-रूस युद्ध है इसका कारण
आरबीआई के वित्तीय बाजार संचालन विभाग के सौरभ नाथ, विक्रम राजपूत और गोपालकृष्णन एस के अध्ययन में कहा गया है कि 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भंडार 22 प्रतिशत कम हुआ था। यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद उत्पन्न उतार-चढ़ाव के दौरान इसमें केवल छह प्रतिशत की कमी आई है। अध्ययन में कहा गया है कि इसमें व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह कोई जरूरी नहीं है कि यह केंद्रीय बैंक की सोच से मेल खाए।
रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर अपने हस्तक्षेप उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल रहा है। यह विदेशी मुद्रा भंडार में घटने की कम दर से पता चलता है। अध्ययन के अनुसार, निरपेक्ष रूप से 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के कारण मुद्रा भंडार में 70 अरब अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई। जबकि कोविड-19 अवधि के दौरान इसमें 17 अरब डॉलर की ही कमी हुई। वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण इस वर्ष 29 जुलाई तक 56 अरब डॉलर की कमी आई है।
अध्ययन में कहा गया है कि उतार-चढ़ाव को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों में ब्याज दर, मुद्रास्फीति, सरकारी कर्ज, चालू खाते का घाटा, जिंसों पर निर्भरता राजनीतिक स्थिरता के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर घटनाक्रम शामिल हैं।