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देश की इकोनॉमी FY2025 में इतने प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ेगा आगे, एनसीएईआर का ताजा अनुमान

एनसीएईआर ने कहा है कि खाद्य कीमतों पर काबू पाना एक चुनौती है। इस समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक नीतिगत ढांचे की जरूरत हो सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।

खुदरा मुद्रास्फीति मई में घटकर 12 महीने के निचले स्तर 4.7 प्रतिशत पर आ गई।- India TV Paisa Image Source : FILE खुदरा मुद्रास्फीति मई में घटकर 12 महीने के निचले स्तर 4.7 प्रतिशत पर आ गई।

भारत की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष (2024-25) में सात प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ेगी। आर्थिक शोध संस्थान एनसीएईआर ने बुधवार को यह अनुमान लगाया है। इसके  पीछे सामान्य से बेहतर मानसून की उम्मीद और अबतक कोई ज्ञात वैश्विक जोखिम नहीं होना बड़ी वजह है। भाषा की खबर के मुताबिक, एनसीएईआर ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सात प्रतिशत से अधिक और 7.5 प्रतिशत के आसपास रहेगी।

घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है

खबर के मुताबिक, आर्थिक शोध संस्थान ने अपनी मासिक समीक्षा में कहा कि प्रमुख आर्थिक संकेतकों से पता चलता है कि घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और सभी एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने वृद्धि अनुमान में संशोधन किया है। नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की महानिदेशक पूनम गुप्ता ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी की वृद्धि दर सात प्रतिशत से अधिक और 7.5 प्रतिशत के करीब हो सकती है।

मौद्रिक नीति को और कड़ा किए जाने की संभावना नहीं

गुप्ता ने कहा कि यह संभावना पहली तिमाही में देखी गई आर्थिक गतिविधियों में तेजी, निवेश, वृद्धि और व्यापक आर्थिक स्थिरता पर गहन नीतिगत ध्यान और सामान्य मानसून की उम्मीदों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के चरम पर पहुंचने के साथ ही मौद्रिक नीति को और कड़ा किए जाने की संभावना नहीं है। आखिरकार, वैश्विक वातावरण भी अनुकूल प्रतीत होता है, क्योंकि अबतक कोई ज्ञात वैश्विक जोखिम नहीं है।

व्यापक नीतिगत ढांचे की जरूरत

गुप्ता ने कहा कि खाद्य कीमतों पर काबू पाना एक चुनौती है। इस समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक नीतिगत ढांचे की जरूरत हो सकती है, जिसमें जलवायु-अनुकूल खाद्य आपूर्ति का निर्माण करना और डिब्बा बंद और संरक्षित खाद्य आपूर्ति की ओर धीरे-धीरे बदलाव करना शामिल है, ताकि समय-समय पर आपूर्ति और मांग के बीच के अंतर को पाटा जा सके। इसी महीने, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। खुदरा मुद्रास्फीति मई में घटकर 12 महीने के निचले स्तर 4.7 प्रतिशत पर आ गई, हालांकि खाद्य मुद्रास्फीति ऊंची बनी रही।

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