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Indian Economy Growth: अगले दो साल इंडियन इकोनॉमी के लिए सबसे अच्छे, 7.4 फीसदी की रहेगी विकास दर

Indian Economy Growth: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2022-23 में करीब 7.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी।

अगले दो साल इंडियन...- India TV Paisa Image Source : PTI अगले दो साल इंडियन इकोनॉमी के लिए सबसे अच्छे

Highlights

  • अगले दो साल इंडियन इकोनॉमी के लिए सबसे अच्छे
  • चुनाव से पहले वादे करने वाले राजनीतिक दलों को खर्चों का ध्यान रखने के लिए बजटीय प्रावधान करना चाहिए
  • मुफ्त खाद्यान्न वितरण पहल की समयसीमा सितंबर में खत्म हो रही है

Indian Economy Growth: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2022-23 में करीब 7.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष (Financial year) में भी ये रफ्तार बरकरार रहेगी। सीतारमण ने एफई बेस्ट बैंक अवार्ड कार्यक्रम में कहा, ‘‘गतिविधियों के आधार पर अनुमान बताते हैं कि हम निश्चित रूप से इस स्तर पर रहेंगे। 7.4 (प्रतिशत) और यह स्तर अगले साल भी जारी रहेगा।’’ 

अगले दो साल इंडियन इकोनॉमी के लिए सबसे अच्छे

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और अन्य संस्थानों के वृद्धि पूर्वानुमानों का जिक्र किया। सीतारमण ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक ने अगले दो वित्त वर्ष के लिए भारत की वृद्धि दर सबसे तेज रहने का अनुमान जताया है और उनका अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान से भी मेल खाता है। वैश्विक स्थिति लगातार चुनौतीपूर्ण बनी हुई है और अभी हालात को लेकर सावधान रहने की जरूरत है। 

विपक्ष पर साधा निशाना

उन्होंने कहा कि निर्यात क्षेत्र को कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि वैश्विक वृद्धि धीमी हो गई है। सरकार इन संस्थाओं के साथ मिलकर काम करेगी, ताकि वे विपरीत परिस्थितियों का सामना कर सकें। मुफ्त के उपहारों को लेकर एक ठोस बहस की जरूरत है। साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव से पहले वादे करने वाले राजनीतिक दलों को खर्चों का ध्यान रखने के लिए बजटीय प्रावधान करना चाहिए, न कि अन्य संस्थाओं पर बोझ डालना चाहिए। बिजली वितरण कंपनियों और उत्पादन कंपनियों को इस तरह की मुफ्त सुविधाओं का खामियाजा भुगतना पड़ा है। 

नए निवेश की जरूरत

निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय के बारे में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा कि हाई टैक्स संग्रह उद्योग द्वारा स्थापित नए निवेश और विनिर्माण इकाइयों की स्थापना की ओर संकेत देता है। कुछ लोगों का मानना है कि निजी निवेश अपेक्षा से कम है। वित्त मंत्री ने कहा कि नए निवेश के बिना टैक्स संग्रह नहीं बढ़ सकता है और उन्होंने कॉरपोरेट क्षेत्र से इस पहलू को अधिक स्पष्ट करने को कहा। उन्होंने केंद्र के उपकर और अधिभार के जरिए राजस्व छीनने की कहानी को भी खारिज किया। सीतारमण ने कहा कि केंद्र द्वारा एकत्र किया गया उपकर आखिरकार राज्यों में ही स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के निर्माण पर खर्च किया जाता है। उन्होंने दावा किया कि केंद्र किसी विशेष राज्य में इस तरह के उपकर और अधिभार के जरिए जमा किए गए धन से अधिक खर्च करता है। 

कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू की गई मुफ्त खाद्यान्न वितरण पहल को जारी रखने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि सरकार इस बारे में फैसला करेगी। इस योजना की समयसीमा सितंबर में खत्म हो रही है। 

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