भारतीय अर्थव्यवस्था पर मंदी का खतरा नहीं लेकिन वैश्विक कारणों से उठाना होगा कुछ नुकसान: RBI
केंद्रीय बैंक ने इस महीने की शुरुआत में अगले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने वृद्धि अनुमान को पहले के सात प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि भारत में बुनियादी आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं, लेकिन वैश्विक कारणों से अर्थव्यवस्था को कुछ 'नुकसान' होगा। दास ने एक अंग्रेजी अखबार द्वारा आयोजित एक समिट में कहा कि आरबीआई 70 तेजी से बढ़ने वाले संकेतकों पर नजर रखता है और उनमें से ज्यादातर 'अच्छी स्थिति ' में हैं। उन्होंने कहा कि ये बाहरी कारक है, जो दुनिया के एक बड़े हिस्से में मंदी के डर से प्रेरित है, जहां चुनौतियां हैं।
काफी बेहतर स्थिति में भारतीय वित्तीय क्षेत्र
उन्होंने कहा कि बाहरी मांग का प्रभाव अर्थव्यवस्था को 'प्रभावित' करेगा। केंद्रीय बैंक ने इस महीने की शुरुआत में अगले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने वृद्धि अनुमान को पहले के सात प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया। दास ने कहा कि भारतीय वित्तीय क्षेत्र लचीला बना हुआ है और काफी बेहतर स्थिति में है। उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि के लिए नियामक और वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों, दोनों का श्रेय है। दास ने कहा कि मौद्रिक नीति मुद्रास्फीति और विकास पर घरेलू कारकों द्वारा निर्देशित होती रहेगी। इसके अलावा यह अमेरिकी फेडरल बैंक की कार्रवाई जैसी अन्य इनपुट को भी ध्यान में रखता है।
महंगाई को काबू करने का प्रयास जारी
दास ने मुद्रास्फीति पर कहा कि महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच 'बेहद समन्वित प्रयास' रहा है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि जमा और क्रेडिट वृद्धि के बीच पूर्ण रूप से कोई खास अंतर नहीं है, आधार प्रभाव दोनों के वृद्धि आंकड़े को अलग-अलग दिखाते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्ण संख्या में ऋण वृद्धि दो दिसंबर, 2022 तक 19 लाख करोड़ रुपये रही, जबकि जमा वृद्धि 17.5 लाख करोड़ रुपये थी।
क्या मेस्सी ने भी इतिहास की पढ़ाई की है: दास
दास ने बुधवार को ‘इतिहास वाले केंद्रीय बैंक गवर्नर’ के ताने का जवाब देते हुए कहा कि क्या अर्जेंटीना के दिग्गज फुटबॉल खिलाड़ी लियोनल मेस्सी ने भी इतिहास की पढ़ाई की है। दरअसल, एक शिखर सम्मेलन में एक गर्मजोशी भरी बातचीत की एंकरिंग कर रहे एक साक्षात्कारकर्ता ने अपनी स्थिति की तुलना कतर में फुटबॉल मैदान में मेस्सी का सामना करने वाले एक प्रतिद्वंद्वी से की। दरअसल दास उनका बेहद चतुराई से जवाब दे रहे थे। दास ने कहा, ‘‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन क्या मेस्सी ने भी इतिहास की पढ़ाई की थी। अक्सर नहीं, लेकिन कई बार मुझे लोगों द्वारा याद दिलाया जाता है कि मैंने इतिहास की पढ़ाई की है। दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में परास्नातक दास नौकरशाह थे और उन्हें दिसंबर 2018 में केंद्रीय बैंक का गवर्नर बनाया गया था। सरकार के साथ तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल के मतभेदों के बाद उन्हें लाया गया। दास 28 वर्षों में आरबीआई के पहले गैर-अर्थशास्त्री गवर्नर हैं। उन्होंने अपने चार साल के कार्यकाल में यूक्रेन पर रूसी हमले, कोविड महामारी और मुद्रास्फीति में वृद्धि जैसे संकटों का सामना किया। उनकी नियुक्ति के बाद से कई आलोचक दास की इसलिए आलोचना करते रहे हैं, क्योंकि उन्होंने इतिहास विषय से पढ़ाई की है।