भारत 2034 तक होगा 8 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी, सिर्फ इस मोर्चे पर होगी चुनौती
शौर्य डोभाल का कहना है कि भारत साल 2034 तक 8000 अरब डॉलर की इकोनॉमी बन जाएगा। हालांकि, डोभाल ने यह भी कहा कि निर्यात के मोर्चे पर कुछ परेशानी रहेगी।
भारत 2034 तक 8,000 अरब डॉलर (8 ट्रिलियन डॉलर) की अर्थव्यवस्था वाला देश होगा और अर्थशास्त्र तथा वैश्विक राजनीति के संदर्भ में दुनिया के केंद्र में होगा। भारतीय जनता पार्टी के नेता और इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक शौर्य डोभाल ने यह बात कही है। डोभाल ने कहा कि जहां तक निर्यात का सवाल है, देश को भविष्य में प्रतिकूल हालात का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह से हम आगे बढ़ रहे हैं, अगले 25 साल में हम देखेंगे कि अर्थशास्त्र तथा वैश्विक राजनीति के संदर्भ में भारत दुनिया के केंद्र में होगा। यह देश और देश के लोगों लिए बहुत अच्छी खबर है।’’
2034 तक 8000 अरब डॉलर की इकोनॉमी
डोभाल ने कहा कि यह मुख्य रूप से हमारी आर्थिक प्रगति से जुड़ा है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें यहां पहुंचने में 60 साल लग गये। अंग्रेज हमें 30 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था देकर गये। साल 2007 में हम 1,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन गये। इसमें हमारी तीन पीढ़ियां लग गईं। वर्ष 2007 से 2014 तक हम 2,000 अरब डॉलर तक पहुंच गए। आज हम 4,000 अरब डॉलर पर हैं और यह कोविड महामारी के बावजूद है।’’ डोभाल ने कहा कि पिछले 75 साल में जो हासिल किया गया, वह अगले 10 साल में ही हासिल किया जाएगा और 2034 तक हम 8,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था होंगे।
निर्यात के मामले में चुनौतियां
बैंक अधिकारी से राजनीतिक विचारक बने डोभाल ने कहा कि खासकर कोविड महामारी से मिले अनुभव के बाद अब ज्यादा-से-ज्यादा देश अपनी क्षमता निर्माण पर ध्यान दे रहे हैं। डोभाल ने कहा, ‘‘यह अब भारत के लिए थोड़ी समस्या वाली बात है, क्योंकि हमें अपनी अर्थव्यवस्था को गति देने को लेकर वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार को बढ़ाने की जरूरत है। इसीलिए, जहां तक निर्यात की हमारी क्षमता का सवाल है, इस मामले में हमें चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।’’
चीन का दिया उदाहरण
डोभाल ने चीन का उदाहरण दिया। वह अर्थव्यवस्था के मामले में आज जहां है, वहां पहुंचने के लिए उसने अवसरों का पूरा उपयोग किया। डोभाल ने कहा, ‘‘सौभाग्य से हमारे पास एक बड़ा बाजार है और निश्चित रूप से नरेन्द्र मोदी सरकार ने 50 करोड़ लोगों को अर्थव्यवस्था के संगठित क्षेत्र में लाने के लिए जो पहल की है, वह भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए काफी फायदेमंद है। क्योंकि इससे अब हमारे पास अपना प्राथमिक बाजार है, जो बढ़ रहा है। इन सबको देखते हुए वैश्विक स्तर पर जो चुनौतियां हैं, उनके असर को काफी हद तक निपटने में हम सक्षम हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे सामने ऊर्जा और आयात की चुनौती है।''
ऊर्जा आयात पर निर्भरता को कम करना होगा
डोभाल ने कहा कि आठ से 10 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर बनाये रखने के लिए ऊर्जा आयात पर निर्भरता को कम करना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘ऊर्जा निर्भरता बढ़ रही है। भले ही हमने सौर ऊर्जा और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत कुछ किया है, लेकिन यह भी सच्चाई है कि पिछले 10 साल में यह बढ़ी है।’’ डोभाल ने कहा, ‘‘जब कच्चा तेल नहीं होगा तो हम इसे पैदा नहीं कर सकते। आर्थिक बाधाओं के बीच यह सबसे बड़ी चुनौती है।’’