रूस यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चा तेल बीते दो महीने से उफान पर है। दुनिया भर के गरीब देशों की अर्थव्यवस्थाएं इस महंगे तेल से तबाह हो रही हैं। लेकिन भारत को इस युद्ध के बीच सस्ते क्रूड का एक नया साझेदार मिल गया है। भारत अपनी जरूरत का मात्र 4 प्रतिशत क्रूड ही रूस से आयात करता है। लेकिन बदलते हालातों में रूसी तेल की सबसे बड़ी खेप भारत और चीन की ओर आ रही है।
समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल रूसी तेल की एक रिकॉर्ड मात्रा बोर्ड टैंकरों पर है। रिपोर्ट के अनुसार रूस का करीब 74 मिलियन और 79 मिलियन बैरल तेल इस समय समुद्र के रास्ते में है। यह जो यूक्रेन पर फरवरी में हुए आक्रमण से ठीक पहले 27 मिलियन बैरल के मुकाबले दोगुना से अधिक है। मई में यह अंतर और बढ़ना तय है।
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भारत बना सबसे बड़ा खरीदार
भारत अप्रैल में रूसी यूराल क्रूड के सबसे बड़े खरीदार के रूप में उभरा है। यूक्रेन युद्ध के कारण रूस के पारंपरिक खरीदार यूरोपीय देश व्यापारिक सौदे नहीं कर रह हैं, जिसके कारण रूस का यूराल क्रूड अपने निचले स्तर पर है। फिलहाल ब्रेंट क्रूड ऑयल के मुकाबले यूराल क्रूड पर भारत को 40 डॉलर तक की छूट मिल रही है।
अप्रैल में 627,000 बैरल कच्चे तेल का निर्यात
कमोडिटी इंटेलिजेंस फर्म Kpler के आंकड़ों के अनुसार, रूस ने अप्रैल में भारत को 627,000 बैरल प्रति दिन कच्चे तेल का निर्यात किया, जबकि मार्च में यह 274,000 बैरल था वहीं फरवरी में यह शून्य था। केप्लर के आंकड़ों से पता चलता है कि यूरोप के कई रिफाइनर द्वारा प्रतिबंधों और बहिष्कार के बावजूद यूराल क्रूड का निर्यात औसतन 2.24 मिलियन बैरल प्रतिदिन है, जो मई 2019 के बाद से सबसे अधिक है।
यूरोप की बजाए एशिया की ओर रूसी तेल
यूरोपीय देश परंपरागत रूप से रूसी तेल के खरीदार थे। यही कारण है कि रूस का एशियाई देशों से ज्यादा संपर्क नहीं था। लेकिन अब स्थिति बदली है। रूसी कच्चे तेल की बात करें तो 26 मई तक, यूराल ग्रेड का लगभग 57 मिलियन बैरल और रूसी ईएसपीओ क्रूड के 7.3 मिलियन बैरल कंटेनर इस समय समुद्री रास्ते में है, जबकि फरवरी के अंत में 19 मिलियन यूराल और 5.7 मिलियन ईएसपीओ एशिया के रास्ते में थे।
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