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Hindi News पैसा बिज़नेस चीन की छुट्टी करने के लिए सरकार लाई ’नई विदेश व्यापार नीति 2023’, अब दुनिया में बजेगा ’Made in India’ का डंका

चीन की छुट्टी करने के लिए सरकार लाई ’नई विदेश व्यापार नीति 2023’, अब दुनिया में बजेगा ’Made in India’ का डंका

परंपरागत रूप से पंचवर्षीय विदेश व्यापार नीति की घोषणा की जाती रही है लेकिन इस हालिया नीति की कोई समाप्ति तिथि नहीं है और इसे जरूरत के मुताबिक अपडेट किया जाता रहेगा।

नई विदेश व्यापार नीति...- India TV Paisa Image Source : PTI नई विदेश व्यापार नीति 2023

वैश्विक बाजारों में भारत की धाक जमाने के लिए आज केंद्र सरकार ने विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2023 को पेश कर दिया है। इस नीति का उद्देश्य प्रोत्साहन के बजाए छूट और पात्रता आधारित व्यवस्था को अपनाते हुए देश के निर्यात को 2030 तक 2000 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। 

विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष सारंगी ने एफटीपी 2023 के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि परंपरागत रूप से पंचवर्षीय विदेश व्यापार नीति की घोषणा की जाती रही है लेकिन इस हालिया नीति की कोई समाप्ति तिथि नहीं है और इसे जरूरत के मुताबिक अपडेट किया जाता रहेगा। 

कल से लागू होगी नई विदेश व्यापार नीति 

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एफटीपी 2023 से पर्दा हटाया। यह एक अप्रैल, 2023 से प्रभाव में आएगी। डीजीएफटी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की समाप्ति तक भारत का कुल निर्यात 760-770 अरब डॉलर तक रह सकता है जो 2021-22 में 676 अरब डॉलर था। पिछली नीति पांच साल की अवधि के लिए एक अप्रैल, 2015 से प्रभाव में आई थी, लेकिन कोरोना वायरस महामारी फैलने की वजह से इसे कई बार विस्तार दिया गया। अंतिम बार इसे सितंबर 2022 में 31 मार्च, 2023 तक के लिए विस्तार दिया गया था। 

ये चार शहर होंगे निर्यात के चमकते सितारे 

नई एफटीपी में निर्यात उत्कृष्ट शहरों (टीईई) में चार नए शहरों को शामिल किया गया है जिनमें फरीदाबाद, मुरादाबाद, मिर्जापुर और वाराणसी हैं। ये पहले से मौजूदा 39 टीईई के इतर हैं। एफटीपी 2023 से ई-वाणिज्य निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा और इसके 2030 तक बढ़कर 200-300 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इसके अलावा, इसमें कूरियर सेवाओं के माध्यम से निर्यात के लिए मूल्य सीमा 5 लाख रुपये प्रति खेप से बढ़ाकर 10 लाख रुपये की जा रही है। नई एफटीपी का लक्ष्य भारतीय रुपये को वैश्विक मुद्रा बनाने और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में घरेलू मुद्रा को बढ़ावा देने का है।

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