हूती विद्रोहियों के हमलों से नहीं पड़ेगा फर्क, मिडिल ईस्ट आर्थिक गलियारे के लिए भारत-UAE में डील
भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप आर्थिक गलियारा भारत, यूएई, सऊदी अरब, जॉर्डन, इजराइल और यूरोप को जोड़ेगा। इसे चीन की 'बेल्ट एंड रोड' (BIR) परियोजना के एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
इजराइल-हमास युद्ध हो या जहाजों पर हूती विद्रोहियों के हमले, भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इन सब क्षेत्रीय तनावों के बावजूद, भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने महत्वाकांक्षी भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप आर्थिक गलियारे को लेकर एक डील पर हस्ताक्षर किए हैं। पीएम मोदी की खाड़ी क्षेत्र की यात्रा के बीच यह डील हुई है। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बुधवार को कहा कि पिछले सितंबर में नई दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान घोषित आईएमईसी का मुद्दा मंगलवार को यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ मोदी की बातचीत के दौरान चर्चा में आया।
भारत, यूएई, सऊदी अरब, जॉर्डन, इजराइल और यूरोप को जोड़ेगा यह कॉरिडोर
यह आर्थिक गलियारा भारत, यूएई, सऊदी अरब, जॉर्डन, इजराइल और यूरोप को जोड़ेगा। इसे चीन की 'बेल्ट एंड रोड' (BIR) परियोजना के एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। क्वात्रा ने मोदी की यूएई यात्रा के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा कि आईएमईसी के सशक्तिकरण और संचालन के लिए सहयोग से संबंधित अंतर-सरकारी ढांचागत समझौता क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने का काम करेगा। उन्होंने कहा, "समझौते का एक उद्देश्य यह है कि आईएमईसी कितनी तेजी से संचालित होता है और इसमें शामिल पक्षों के बीच मजबूत तथा अधिक व्यापक क्षेत्रीय संपर्क के मूल उद्देश्य को कितना फायदा होता है।’’
क्षेत्र में जारी अशांति चिंता का विषय
इसके साथ ही क्वात्रा ने कहा कि गाजा में संघर्ष और लाल सागर की स्थिति को लेकर क्षेत्र में जारी अशांति चिंता का विषय है। “दोनों देश और उनके नेता हालात पर निगरानी और पर्यवेक्षण के साथ विचारों का आदान-प्रदान जारी रखे हुए हैं। लेकिन यह सुनिश्चित करना भी उतना ही अहम है कि आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाया जाए और रफ्तार को कायम रखा जाए।” क्वात्रा ने कहा कि आईएमईसी पर समझौते का मुख्य क्षेत्र लॉजिस्टिक प्लेटफॉर्म्स पर सहयोग से संबंधित है।
हुई यह डील
उन्होंने कहा, "हमारी आपूर्ति श्रृंखला सेवाएं केवल एक या दो चीजों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि सभी तरह के सामान्य माल, थोक कंटेनर और तरल पदार्थों को शामिल करती हैं।" इसके साथ ही यूएई के निवेश मंत्रालय और भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डिजिटल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। विदेश सचिव ने कहा, “यह समझौते की रूपरेखा है जो डिजिटल बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में निवेश सहयोग पर केंद्रित है। सरकारी एजेंसियां और नियामक प्राधिकरण भी इस विशेष डिजिटल बुनियादी ढांचे समझौते के तहत साझेदारी करने पर विचार करेंगे।