एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर नॉन-कैश पेमेंट की हिस्सेदारी में सबसे तेज़ उछाल देखा है, जो साल 2018 में 20.4 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 58.1 प्रतिशत हो गया है। IANS की खबर के मुताबिक, डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबलडेटा के मुताबिक, इस उछाल का श्रेय मोबाइल वॉलेट के व्यापक इस्तेमाल को दिया जा सकता है, जो बड़े पैमाने पर UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस) द्वारा संचालित है, जो सिर्फ QR कोड को स्कैन करके रीयल टाइम में मोबाइल भुगतान को सक्षम बनाता है।
अधिकांश एशियाई बाज़ार पारंपरिक रूप से नकदी-प्रधान हैं
खबर के मुताबिक, रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि वैकल्पिक भुगतान पहले से ही चीन और भारत जैसे देशों में लोकप्रिय हैं, और दूसरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बाज़ारों में भी लोकप्रिय हो रहे हैं। ग्लोबलडेटा में वरिष्ठ बैंकिंग और भुगतान विश्लेषक शिवानी गुप्ता ने कहा कि जबकि अधिकांश एशियाई बाज़ार पारंपरिक रूप से नकदी-प्रधान हैं, ऑनलाइन और इन-स्टोर भुगतान दोनों के लिए वैकल्पिक भुगतान विधियों को अपनाना इस क्षेत्र के कई बाज़ारों में बढ़ रहा है, जो पश्चिम से आगे निकल रहा है। उन्होंने कहा कि यह ट्रेंड स्मार्टफोन और इंटरनेट की बढ़ती पहुंच, इलेक्ट्रॉनिक भुगतान की बढ़ती सुविधा और मोबाइल और क्यूआर कोड-आधारित भुगतान समाधानों के प्रसार से प्रेरित है।
नकदी-प्रधान देशों में भी ट्रेंड
इसके अलावा, रिपोर्ट से पता चला है कि फिलीपींस, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे क्षेत्र के नकदी-प्रधान देशों में भी इसी तरह की ट्रेंड देखे जा रहे हैं। गुप्ता ने कहा कि वैकल्पिक भुगतान समाधान कई एशिया प्रशांत देशों में ई-कॉमर्स बाजारों में सबसे बड़ी हिस्सेदारी रखते हैं, जिसे इंटरनेट और स्मार्टफोन की बढ़ती पहुंच और व्यापारियों द्वारा डिजिटल भुगतान की बढ़ती स्वीकृति का समर्थन प्राप्त है।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वे जो सुविधा, गति और सुरक्षा प्रदान करते हैं, साथ ही क्षेत्र में समग्र ई-कॉमर्स बाजार में उच्च अपेक्षित वृद्धि के साथ इन भुगतान उपकरणों से क्षेत्र में उपभोक्ता भुगतान क्षेत्र में और अधिक गति प्राप्त करने और बाधा उत्पन्न करने की उम्मीद है।
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