भारत के मैनुफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियां सितंबर में आठ महीने के निचले स्तर पर आ गईं। मंगलवार को एक मासिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई। इसमें यह बताया गया है कि कारखाना उत्पादन, बिक्री तथा नए निर्यात ऑर्डर में धीमी वृद्धि से यह रुझान देखने को मिला है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) सितंबर में 56.5 रहा, जो अगस्त में 57.5 था।
नए निर्यात ऑर्डर पीएमआई कम रहे
खबर के मुताबिक, पीएमआई के तहत 50 से ऊपर सूचकांक होने का मतलब उत्पादन गतिविधियों में विस्तार है जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा सिकुड़न को दर्शाता है। एचएसबीसी के मुख्य अर्थशास्त्री (भारत) प्रांजुल भंडारी ने कहा कि गर्मियों के मौसम में बहुत मजबूत वृद्धि के बाद सितंबर में भारत के विनिर्माण क्षेत्र की गति धीमी हो गई। उन्होंने कहा कि प्रोडक्शन और नए ऑर्डर की धीमी गति और निर्यात मांग वृद्धि में मंदी विशेष रूप से स्पष्ट रही क्योंकि नए निर्यात ऑर्डर पीएमआई मार्च 2023 के बाद से सबसे कम रहे।
मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र की वृद्धि में मामूली गिरावट
पीएमआई के सितंबर के आंकड़ों के मुताबिक, पूरे भारत में मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र की वृद्धि में मामूली गिरावट आई है। कारखाना उत्पादन और बिक्री में वृद्धि की दर में लगातार तीसरे महीने कमी आई है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर डेढ़ साल में सबसे धीमी गति से बढ़े हैं। मूल्य के मोर्चे पर, कच्चे माल की लागत और विक्रय शुल्क में मध्यम वृद्धि हुई। बढ़ती क्रय कीमतों, साथ ही अधिक श्रम लागत और अनुकूल मांग स्थितियों के परिणामस्वरूप भारतीय विनिर्माताओं ने सितंबर में अपने शुल्कों में मामूली वृद्धि की।
कारोबारी भरोसा कैसा रहा
कारोबारी विश्वास का समग्र स्तर अप्रैल 2023 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया। करीब 23 प्रतिशत भारतीय विनिर्माताओं ने आने वाले वर्ष में उत्पादन में वृद्धि का, जबकि बाकी ने कोई बदलाव नहीं होने का अनुमान लगाया है। एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण पीएमआई को एसएंडपी ग्लोबल ने करीब 400 कंपनियों के एक समूह में क्रय प्रबंधकों को भेजे गए सवालों के जवाबों के आधार पर तैयार किया है।
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