भारत का निर्यात चालू वित्तीय वर्ष (FY2023-24) के आखिर में लाल सागर संकट जैसी भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद 450 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो के निर्वाचित अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने मंगलवार को यह बात कही। भाषा की खबर के मुताबिक, उन्होंने कहा कि लाल सागर संकट से पैदा हुई चुनौतियों का समाधान समुद्री बीमा और माल ढुलाई शुल्क में तर्कसंगत बढ़ोतरी करके किया जा सकता है। कुमार ने कहा कि देश के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यात क्षेत्र को आसान और कम लागत वाले ऋण और मार्केटिंग सपोर्ट की जरूरत है।
मुक्त व्यापार समझौतों से मिलेगी मदद
खबर के मुताबिक, ब्रिटेन और ओमान के साथ मुक्त व्यापार समझौतों को जल्द आखिरी रूप देने से भी निर्यात को मदद मिलेगी। कुमार ने कहा कि मैं एमएसएमई के मुद्दों का समाधान करने पर ध्यान केंद्रित करूंगा, क्योंकि वे प्रमुख भूमिका निभाने जा रहे हैं। ये इकाइयां साल 2030 तक 1,000 अरब डॉलर के वस्तु निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। उन्होंने कहा कि छोटी और मझोली इकाइयां अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और उन्हें लोन से संबंधित कुछ मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है।
फरवरी में निर्यात
फियो अध्यक्ष ने कहा कि मैं बैंकों से इन इकाइयों को समर्थन देने के लिए आगे आने का आग्रह करूंगा। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष ने कहा कि संगठन लैटिन अमेरिका और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में निर्यातकों के लिए अधिक अवसर तलाशने पर भी काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि चुनौतियां हैं, लेकिन मुझे यकीन है कि हम चालू वित्त वर्ष में 450 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात को हासिल कर लेंगे। उन्होंने कहा कि समस्याओं के बावजूद फरवरी में निर्यात लगभग 12 प्रतिशत बढ़कर 41.40 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-फरवरी के दौरान वस्तुओं का निर्यात 395 अरब अमेरिकी डॉलर था।
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