भारत का अमेरिकी सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश जून में बढ़कर कुल 241.9 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। यह लगातार तीसरा महीना है, जब भारत ने अमेरिकी प्रतिभूतियों में निवेश बढ़ाया है। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, जापान जून में 1,110 अरब डॉलर से अधिक मूल्य की प्रतिभूतियों के साथ शीर्ष स्थान पर रहा। वहीं, चीन 780.2 अरब डॉलर मूल्य की प्रतिभूतियों के साथ दूसरे स्थान पर है। ब्रिटेन 741.5 अरब डॉलर के निवेश के साथ तीसरे और 384.2 अरब डॉलर की प्रतिभूतियों के साथ लक्जमबर्ग चौथे स्थान पर रहा।
देशों और अन्य क्षेत्रों में भारत जून में 241.9 अरब डॉलर मूल्य की अमेरिकी सरकारी प्रतिभूतियों के साथ 12वें स्थान पर रहा। यह मई में 237.8 अरब डॉलर था। आंकड़ों के मुताबिक, भारत के पास अमेरिकी प्रतिभूतियां पिछले एक साल में सबसे ज्यादा है। मई 2024 में यह 237.8 अरब डॉलर का था। इस साल अप्रैल में यह घटकर 233.5 अरब डॉलर पर था। जबकि मार्च में 240.6 अरब डॉलर था। पिछले साल जून में निवेश 235.4 अरब डॉलर था।
कनाडा पांचवें स्थान पर
अमेरिकी प्रतिभूति रखने वाले टॉप 10 देशों/क्षेत्रों में 374.8 अरब डॉलर की हिस्सेदारी के साथ कनाडा पांचवें स्थान पर है। उसके बाद क्रमश: केमैन आइलैंड (319.4 अरब डॉलर), बेल्जियम (318 अरब डॉलर), आयरलैंड (308 अरब डॉलर), फ्रांस (307.2 अरब डॉलर) और स्विट्जरलैंड (287.1 अरब डॉलर) का स्थान है। ताइवान 265.9 अरब डॉलर के निवेश के साथ 11वें स्थान पर है।
वैश्विक ग्रोथ 3.2% रहने का अनुमान
वैश्विक अर्थव्यवस्था ऊंची मुद्रास्फीति, भू-राजनीतिक तनाव और अन्य चुनौतियों के बीच अनिश्चितता का सामना कर रही है। इसके अलावा वृद्धि का प्रतिरूप असमान है। संयुक्त राज्य अमेरिका में वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर जून तिमाही में 2.8 प्रतिशत सालाना रही जो 2024 की पहली तिमाही में 1.4 प्रतिशत के मुकाबले अधिक है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने जुलाई में जारी अपने विश्व आर्थिक परिदृश्य के बारे में अद्यतन रिपोर्ट में चालू वर्ष के लिए वृद्धि दर 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
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