Inflation Reason: देश में महंगाई आम आदमी की कमर तोड़ रही है। खाने पीने से लेकर गैस पेट्रोल डीजल तक सब कुछ महंगा हो चुका है। लोग महंगी चीजों की कीमतें मजबूरी में उठा तो रहे हैं लेकिन यह भी पूछ रहे हैं कि यह महंगाई क्यों? इस महंगाई का कारण क्या है?
दूसरी ओर सरकार से लेकर अर्थशास्त्री तक इस महंगाई के पीछे कोरोना और यूक्रेन युद्ध जैसे कारण भी गिना रहे हैं। इस बीच रेटिंग एजेंसी क्रिसिल महंगाई का एक अलग कारण लेकर आई है, यह कारण न सिर्फ सरकार और अर्थशास्त्रियों की सोच से उलट है वहीं आम लोगों के लिए भ चौंकाने वाला है। क्रिसिल के अनुसार इस साल देश में पड़ी भीषण गर्मी और बढ़ते पारे ने कीमतों पर महंगाई का तड़का लगाया है।
क्या है क्रिसिल के तर्क
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को कहा कि देश में 2022 की शुरुआत में पारा चढ़ना खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी का प्रमुख घरेलू कारण रहा है। जबकि आरबीआई मुद्रास्फीति में वृद्धि का प्रमुख कारण रूस-यूक्रेन युद्ध और उससे जिंसों के दाम में तेजी को बताता रहा है। क्रिसिल रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर का मुख्य कारण आपूर्ति की कमी है। आपूर्ति कम होने की वजह रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ घरेलू स्तर पर गर्मी का अचानक से बढ़ना है।’’
122 साल में सबसे अधिक गर्मी
गर्मी के बढ़ने से उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में औसत तापमान 122 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गया था। पारा चढ़ने से गेहूं, मूंगफली, बाजरा और आम जैसे फसलों पर असर पड़ा है। क्रिसिल ने कहा, ‘‘लू चलना प्रमुख घरेलू कारण है जिससे इस साल खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़े हैं।
महंगाई दर रिजर्व बैंक के स्तर से अधिक
महंगाई दर लगातार रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर (दो से छह प्रतिशत) के ऊपर बनी हुई है। फिलहाल उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं की हिस्सेदारी 39 प्रतिशत है। रिपोर्ट के अनुसार मौद्रिक नीति समिति के समक्ष खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर एक बड़ी चुनौती है।
6.8 प्रतिशत रहेगी महंगाई
India Inflation: रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 6.8 प्रतिशत रहेगी। यह खाद्य मुद्रास्फीति के सात प्रतिशत के स्तर पर रहने के अनुमान पर आधारित है। एजेंसी ने 2021-22 के मुकाबले चालू वित्त वर्ष में खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर दबाव को देखते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 2022-23 में 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 6.7 प्रतिशत के अनुमान से कुछ अधिक है।
रिजर्व बैंक ने दिया था संकेत
क्रिसिल की यह रिपोर्ट 2020 के आरबीआई के एक अध्ययन की ओर संकेत करती है। इसमें कहा गया है कि खाद्य मुद्रास्फीति पर जलवायु परिवर्तन का व्यापक आर्थिक प्रभाव पिछले दो दशकों में भारत के लिए सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण रहा है।’’
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