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Hindi News पैसा बिज़नेस चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 6-6.3% रहेगी भारत की वृद्धि दर, राजस्व संग्रह में कमी का अनुमान: मूडीज

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 6-6.3% रहेगी भारत की वृद्धि दर, राजस्व संग्रह में कमी का अनुमान: मूडीज

सरकार का राजकोषीय घाटा 2022-23 में घटकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.4 प्रतिशत रह गया, जो 2021-22 में 6.7 प्रतिशत था। सरकार के खर्च और राजस्व के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है।

Moody's- India TV Paisa Image Source : FILE मूडीज

रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moody's) का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष (2023-24) की पहली जून में समाप्त होने वाली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 6-6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। इसके साथ ही मूडीज ने सरकार का राजस्व उम्मीद से कम रहने की वजह से राजकोषीय मोर्चे पर ‘फिसलन’ की भी आशंका जताई है। मूडीज का वृद्धि दर का अनुमान 2023-24 की पहली तिमाही के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के आठ प्रतिशत के अनुमान से काफी कम है। मूडीज इन्वेस्टर सर्विसेज के एसोसिएट प्रबंध निदेशक जीन फैंग ने कहा कि 2022-23 के लिए भारत का सामान्य सरकारी कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के काफी उच्चस्तर यानी 81.8 प्रतिशत पर रहा है जबकि ऋण क्षमता इससे काफी कम है।

भारत के पास ऊंची वृद्धि हासिल करने की क्षमता

उन्होंने कहा कि भारत (India) के पास ऊंची वृद्धि हासिल करने की क्षमता है और इसकी ताकत सरकारी ऋण के लिए स्थिर घरेलू वित्तीय आधार और मजबूत बाहरी स्थिति है। फैंग ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की वृद्धि दर लगभग 6-6.3 प्रतिशत होगी, जो वित्त वर्ष 2022-23 की अंतिम तिमाही में दर्ज 6.1 प्रतिशत की वृद्धि के आसपास ही है।’’ फैंग ने कहा कि मुद्रास्फीति के नीचे आने की वजह से हमें उम्मीद है कि परिवारों की मांग सुधरेगी। फैंग ने कहा कि ‘बीएए3’ की सॉवरेन रेटिंग के साथ भारत की ताकत उसकी बड़ी और विविधता वाली अर्थव्यवस्था है जिसमें ऊंची वृद्धि दर हासिल करने की क्षमता है। इसका अंदाजा कमजोर वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के बीच वृद्धि के मजबूत अनुमान से लगाया जा सकता है। 

इस कारण राजस्व घटने की आशंका 

उन्होंने कहा कि सरकार ने राजकोषीय नीति पर चिंताओं को दूर करते हुए पिछले दो साल में अपने राजकोषीय लक्ष्यों को व्यापक रूप से हासिल किया है। सरकार का राजकोषीय घाटा 2022-23 में घटकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.4 प्रतिशत रह गया, जो 2021-22 में 6.7 प्रतिशत था। सरकार के खर्च और राजस्व के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 5.9 प्रतिशत रखा गया है। फैंग ने कहा, ‘‘चूंकि सरकार उच्च मुद्रास्फीति और कमजोर वैश्विक मांग तथा मई, 2024 में होने वाले आम चुनाव से पहले अर्थव्यवस्था को समर्थन देने की अपनी अधिक तात्कालिक प्राथमिकता के खिलाफ दीर्घकालिक राजकोषीय स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता को संतुलित कर रही है, ऐसे में हमें लगता है कि राजकोषीय मोर्चे पर फिसलन की आशंका है। 

2023-24 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.1% रहेगी

मूडीज का अनुमान है कि पूरे 2023-24 के वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रहेगी, जबकि अगले वित्त वर्ष में यह 6.3 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी। कैलेंडर साल के आधार पर मूडीज को 2023 में वृद्धि दर के 5.5 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद है, जो 2024 में बढ़कर 6.5 प्रतिशत हो सकती है। पिछले सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समीक्षा में चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर के 6.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है। रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वृद्धि दर आठ प्रतिशत रहेगी। दूसरी तिमाही में यह 6.5 प्रतिशत, तीसरी में छह प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत रहेगी। फैंग ने कहा कि सरकार का सामान्य सरकारी कर्ज 2022-23 में जीडीपी का 81.8 प्रतिशत रहा है, जो काफी ऊंचा है। बीएए रेटिंग वाले स्थानों के लिए इसका औसत 56 प्रतिशत है। 

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