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Hindi News पैसा बिज़नेस बैन हटने के बाद भारत ने किया 45,000 टन से ज्यादा प्याज का एक्सपोर्ट, इन देशों को गया सबसे ज्यादा

बैन हटने के बाद भारत ने किया 45,000 टन से ज्यादा प्याज का एक्सपोर्ट, इन देशों को गया सबसे ज्यादा

सरकार की तरफ से कहा गया है कि इस साल अच्छे मानसून के पूर्वानुमान से जून से प्याज सहित खरीफ (ग्रीष्मकालीन) फसलों की बेहतर बुवाई सुनिश्चित होगी। सरकार ने चुनाव के दौरान प्याज की कीमतें कम रखने के लिए 4 मई को प्रतिबंध हटा दिया था।

रबी की फसल से प्याज की खरीद शुरू हो गई है।- India TV Paisa Image Source : FILE रबी की फसल से प्याज की खरीद शुरू हो गई है।

भारत में मई 2024 की शुरुआत में प्याज के निर्यात से प्रतिबंध हटने के बाद 45,000 टन से ज्यादा प्याज का निर्यात किया गया है। एक बड़े सरकारी अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। दुनिया के सबसे बड़े सब्जी निर्यातक ने गत दिसंबर में प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और फिर सुस्त उत्पादन के चलते कीमतों में वृद्धि के बाद मार्च में इसे बढ़ा दिया था। भाषा की खबर के मुताबिक, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की सचिव निधि खरे ने कहा कि प्रतिबंध हटने के बाद से 45,000 टन से अधिक प्याज का एक्सपोर्ट किया गया है।

4 मई को हटाया था बैन

खबर के मुताबिक, प्याज का ज्यादातर निर्यात पश्चिम एशिया और बांग्लादेश को किया गया। सरकार ने चुनाव के दौरान प्याज की कीमतें कम रखने के लिए 4 मई को प्रतिबंध हटा दिया था। हालांकि, प्रति टन पर 550 अमेरिकी डॉलर का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया गया था। खरे ने कहा कि इस साल अच्छे मानसून के पूर्वानुमान से जून से प्याज सहित खरीफ (ग्रीष्मकालीन) फसलों की बेहतर बुवाई सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियों ने चालू वर्ष के लिए लक्षित 5,00,000 टन का भंडार (बफर स्टॉक) रखने के लिए हालिया रबी (सर्दियों) की फसल से प्याज की खरीद शुरू कर दी है।

प्याज उत्पादन को लेकर क्या है अनुमान

कृषि मंत्रालय के प्राथमिक अनुमान के मुताबिक, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में कम उत्पादन के कारण फसल वर्ष 2023-24 में देश का प्याज उत्पादन सालाना आधार पर 16 प्रतिशत घटकर 2.54 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। प्याज की पैदावार भारत में सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में होती है। कुछ महीने पहले प्याज की कीमत आसमान छूने लग गई थी। तब बताया गया था कि मौसम संबंधी वजहों से खरीफ प्याज की बुवाई में देरी हुई जिससे इसकी खेती का रकबा घट गया और फसल देर से पहुंची।

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