वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि दुनिया में छाए अनिश्चितता के माहौल में भारत उन देशों में शामिल है जो शानदार प्रदर्शन कर रहा है। विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की जारी सालाना बैठक के तहत अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक वित्तीय समिति की बैठक को संबोधित करते हुए सीतारमण ने शुक्रवार को यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया में अनिश्चितता के माहौल में , भारत उन चंद देशों में शामिल है जो शानदार प्रदर्शन कर रहा है।’’ उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (एनएसओ) ने अब चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 13.5 फीसदी की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर रखी है जो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा है। सीतारमण ने कहा कि भारत ने यह उपलब्धि तब हासिल की है जब उसने मौद्रिक सामान्यीकरण की प्रक्रिया पहले शुरू कर दी थी।
यूरोपीय संघ के आर्थिक आयुक्त से मुलाकात
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वाशिंगटन में यूरोपीय संघ (ईयू) के आर्थिक आयुक्त पाउलो जेंतिलोनी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने मौजूदा वैश्विक अर्थव्यवस्था पर चर्चा की। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने यह जानकारी दी। सीतारमण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की सालाना बैठकों में भाग लेने के लिए वाशिंगटन पहुंची हैं। इसके इतर वह कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकें कर रही हैं। मंत्रालय ने बताया कि शुक्रवार को हुई बैठक के दौरान सीतारमण और जेंतिलोनी ने 2023 में जी-20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था और भारत-ईयू सहयोग मजबूत करने से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने बहुपक्षीय विकास बैंकों को और मजबूत करने की आवश्यकता पर भी चर्चा की, ताकि वे जरूरतमंद देशों की मदद कर सकें। अभी तक सीतारमण ने प्रमुख देशों के अपने समकक्षों के साथ कई द्विपक्षीय बैठकें की हैं। उन्होंने बृहस्पतिार को जर्मनी के वित्त मंत्री क्रिश्चियन लिंडनर से मुलाकात की थी।
तेल-गैस की आपूर्ति में पैदा कर सकता है बाधाएं
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ‘तनावपूर्ण’ और ‘अनिश्चित’ भू-राजनीतिक संकट सर्दियों में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस जैसे महत्वपूर्ण जिंसों की आपूर्ति में नयी चिंताओं को पैदा कर सकता है। उन्होंने साथ ही मजबूत व्यापक आर्थिक बुनियादी पहलुओं और सरकार के संरचनात्मक सुधारों के आधार पर भारत के आर्थिक दृष्टिकोण पर आशावाद व्यक्त किया। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का वैश्विक ऊर्जा प्रणाली पर बुरा प्रभाव पड़ा है। इसके कारण आपूर्ति और मांग बाधित हुई है और विभिन्न देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे व्यापारिक संबंधों में खटास आई है। सीतारमण ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की विकास समिति की बैठक में विश्व बैंक समूह को संसाधन जुटाने के लिए अभिनव तरीके तलाशने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, ‘‘भू-राजनीतिक संकट तनावपूर्ण और अनिश्चित बना हुआ है। यह सर्दियों में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस जैसी महत्वपूर्ण जिंसों की आपूर्ति में नयी चिंताओं को पैदा कर सकता है। साथ ही विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति नियंत्रण एक प्रमुख चिंता का विषय होगा।
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