गहरे वित्तीय संकट का सामना कर रहे श्रीलंका की सरकार ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से बेहद जरूरी राहत पैकेज पाने के लिए श्रीलंका को कर्ज देने वाली संस्थाओं एवं देशों का सहयोग काफी अहम होगा। आईएमएफ ने गत एक सितंबर को श्रीलंका को 2.9 अरब डॉलर का कर्ज देने की घोषणा की थी। चार साल की अवधि वाला यह कर्ज श्रीलंका को अभूतपूर्व आर्थिक संकट से उबरने में मदद करने के लिए देने का ऐलान आईएमएफ ने किया था। आईएमएफ से राहत पैकेज मिलने से श्रीलंका की क्रेडिट रेटिंग में सुधार आने की उम्मीद है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय कर्जदाताओं एवं निवेशकों का भरोसा भी बढ़ने की संभावना है।
कर्जदाताओं के साथ ऑनलाइन बैठक की
श्रीलंका की सरकार ने शुक्रवार को अपने कर्जदाताओं के साथ एक ऑनलाइन बैठक में कहा कि द्विपक्षीय कर्जदाताओं से गारंटी मिलना इस राहत पैकेज को मुद्राकोष के निदेशक मंडल की मंजूरी के लिए पूर्व-शर्त है। दिसंबर के मध्य तक इस राहत पैकेज को लागू करने की संभावना है। मुद्राकोष उन देशों को कर्ज नहीं देता है जिनका कर्ज टिकाऊ नहीं नजर आता है। ऐसी स्थिति में जरूरी है कि श्रीलंका एक अग्रिम समग्र कर्ज निपटान का रास्ता अपनाए। श्रीलंका सरकार ने कर्जदाताओं के साथ बैठक में कहा, ‘‘व्यावहारिक तौर पर इसके लिए द्विपक्षीय कर्जदाताओं से वित्तीय गारंटी दिए जाने की जरूरत है। ऐसा होने पर आईएमएफ को सुविधा का एक संतोषजनक स्तर हो सकेगा ताकि द्विपक्षीय कर्जदाता सार्वजनिक ऋण के टिकाऊपन को बहाल करने की कोशिश को समर्थन दे सकें।’’
महंगाई अगस्त में बढ़कर 70.2 प्रतिशत पर
श्रीलंका में महंगाई अगस्त महीने में बढ़कर 70.2 प्रतिशत पर पहुंच गई। एक महीने पहले यह 66.7 प्रतिशत थी। आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। अगस्त में राष्ट्रीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (एनसीपीआई) आधारित वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में 1.7 प्रतिशत और गैर-खाद्य पदार्थों की कीमतों में 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, खाद्य कीमतों में जुलाई के 82.5 प्रतिशत की तुलना में अगस्त में 84.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस महीने की शुरुआत में, बिजली दरों को संशोधित किया गया था, जिसके कारण खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी के साथ-साथ अगस्त के लिए उपभोक्ता कीमतों के राष्ट्रीय सूचकांक में वृद्धि हुई। मुद्रास्फीति के अनुमान के आधार पर श्रीलंका के केंद्रीय बैंक ने पिछले महीने कहा था कि अगर वैश्विक वस्तुओं की कीमतें स्थिर रहती हैं, तो कीमतें सितंबर महीने में चरम पर पहुंचने के बाद नीचे आना शुरू होंगी।
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