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आईएमएफ ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 9% किया

आईएमएफ का ताजा अनुमान चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के 9.2 प्रतिशत और भारतीय रिजर्व बैंक के 9.5 प्रतिशत के अनुमान से कम है।

<p>Imf cut gdp growth rate </p>- India TV Paisa Image Source : FILE PHOTO Imf cut gdp growth rate 

Highlights

  • आईएमएफ ने भारत की वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था
  • कई एजेंसियां ओमीक्रोन की वजह से वृद्धि दर के अनुमान में कमी कर चुकी हैं
  • वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी

वाशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 9% कर दिया है। आईएमएफ से पहले भी कई एजेंसियां कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन की वजह से कारोबारी गतिविधियों और आवागमन पर पड़ने वाले प्रभाव के चलते अपने वृद्धि दर के अनुमान में कमी कर चुकी हैं। वाशिंगटन स्थित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान ने विश्व आर्थिक परिदृश्य पर अपने ताजा अनुमान में कहा है कि अगले वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। 

इससे पहले आईएमएफ ने पिछले साल अक्टूबर में 2021-22 में भारत की वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। बीते वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई थी। आईएमएफ का ताजा अनुमान चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के 9.2 प्रतिशत और भारतीय रिजर्व बैंक के 9.5 प्रतिशत के अनुमान से कम है। इसके अलावा यह एसएंडपी के 9.5 प्रतिशत और मूडीज के 9.3 प्रतिशत के अनुमान से भी कम है। हालांकि, यह विश्व बैंक के 8.3 प्रतिशत और फिच के 8.4 प्रतिशत की वृद्धि दर के अनुमान से अधिक है। आईएमएफ ने कहा कि 2023 के लिए भारतीय संभावनाएं ऋण की वृद्धि और उसके साथ निवेश और उपभोग की वृद्धि पर निर्भर हैं। मुद्रा कोष ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2021 के 5.9 प्रतिशत से घटकर 2022 में 4.4 प्रतिशत रहेगी। 

आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने एक ब्लॉगपोस्ट में लिखा है कि महामारी के तीसरे साल में प्रवेश के साथ वैश्विक पुनरुद्धार कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि ओमीक्रोन स्वरूप के तेजी से प्रसार की वजह से कई देशों में आवाजाही पर अंकुश लगाए गए हैं, जिससे श्रमबल का संकट पैदा हो गया है। 

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