हिंडनबर्ग को अगर अडाणी दिखा तो सिलिकॉन वैली बैंक पर आंखें क्यों बंद हो गई, अब सवालों के घेरे में रिपोर्ट
अडाणी समूह पर हिंडनबर्ग की एकतरफा रिपोर्ट और एसवीबी बैंक पर आंखें बंद को लेकर अभिनेता विंदू दारा सिंह ने आश्चर्य जताया कि हिंडनबर्ग ने एसवीबी बैंक का कोई स्टडी क्यों नहीं किया।
अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) डूबने से दुनियाभर में हड़कंप मचा हुआ है। एक बार फिर 2008 की वैश्विक मंदी की याद ताजा हो गई है। आपको बता दें कि एसवीबी के ग्राहक बड़े पैमाने पर स्टार्टअप और अन्य तकनीक कंपनियां थी। बैंक के डूबने से हजारों स्टार्टअप्स पर ताला लगने और लाखों लोगों को बेरोजगार होने का खतरा पैदा हो गया है। इस बीच एसवीबी बैंक के डूबने पर अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग की साख पर सवाल खड़े होने लगे हैं। मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि जब अमेरिका में बैठे हिंडनबर्ग को अडाणी ग्रुप में पता चल सकता है तो उसे अमेरिका के ही एक बड़े बैंक की वित्तीय स्थिति का पता क्यों नहीं चला। क्या अडाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट किसी खास अवधारणा से प्रेरित था।
अडाणी समूह पर हिंडनबर्ग रिसर्च को लेकर सवाल
अडाणी समूह पर हिंडनबर्ग की एकतरफा रिपोर्ट और एसवीबी बैंक पर आंखें बंद को लेकर अभिनेता विंदू दारा सिंह ने आश्चर्य जताया कि हिंडनबर्ग ने एसवीबी बैंक का कोई स्टडी क्यों नहीं किया। एक अन्य यूजर ने लिखा, अडाणी समूह ने अपने कर्ज का समय से पहले भुगतान कर रहा है, जबकि सिलिकॉन वैली बैंक डूब गया है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी को एक घोटाले के रूप में बताया लेकिन एसवीबी के बारे में कुछ नहीं कहा। यह दर्शाता है कि हिंडनबर्ग रिसर्च कितना सही था। आपको बता दें कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के कारण अडानी समूह की फर्मों के शेयरों में भारी गिरावट आई, जो एक समय में लगभग 80% गिर गया था। हालांकि, पिछले कुछ दिनों में इसमें तेजी से सुधार हुआ है। एक यूजर ने लिखा कि हिंडनबर्ग अदाणी समूह के साथ व्यस्त था' और उसके देश का 'एसवीबी' दिवालिया हो गया ....!!! एसवीबी का स्टॉक सिर्फ 2 दिनों में बर्बाद हो गया।"
कैसे डूबा सिलिकॉन वैली बैंक
आपको बता दें कि सिलिकॉन वैली बैंक पिछले एक साल में प्रौद्योगिकी शेयरों में गिरावट के साथ ही महंगाई से निपटने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि करने की फेडरल रिजर्व की आक्रामक योजना से बुरी तरह प्रभावित हुआ था। बैंक ने पिछले कुछ वर्षों में अरबों डॉलर मूल्य के बॉन्ड खरीदे थे और इसके लिए ग्राहकों की जमा राशि का उपयोग किया। एसवीबी के ग्राहक बड़े पैमाने पर स्टार्टअप और अन्य तकनीक-केंद्रित कंपनियां थीं, जो पिछले एक साल में नकदी के लिए जूझ रही थीं। कंपनियां मंदी के चलते बैंक से अपना पैसा निकालाना शुरू की। बैंक के पास पैसा नहीं होने पर अपनी संपत्ति बेचने के लिए मजबूर हो गया। नुकसान में बॉन्ड बेचने से सिलिकॉन वैली बैंक दिवालिया हो गया।