FDI: दुनियाभर में चल रहीं अनिश्चितताओं और चुनौतियों के बावजूद भारत में इस साल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का फ्लो शानदार रहा। इस साल जनवरी से लेकर अभी तक एवरेज मंथली एफडीआई 4.5 अरब डॉलर से ज्यादा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की देश में निवेशकों के लिए बेहतर माहौल बनाने की कोशिशों से 2025 में भी ये ट्रेंड जारी रहने की उम्मीद है। निवेशकों के लिए बेहतर पॉलिसी, निवेश पर मजबूत ‘रिटर्न’, जबरदस्त वर्कफोर्स, कम अनुपालन बोझ, छोटे उद्योग से जुड़े अपराधों को दूर करना, मंजूरी के लिए नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम और पीएलआई योजनाएं विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश करने के लिए आकर्षित करने के प्रमुख उपायों में से हैं।
शुरुआती 9 महीनों में 42 प्रतिशत बढ़ा एफडीआई फ्लो
इसके अलावा, ये सुनिश्चित करने के लिए कि भारत एक आकर्षक और इंवेस्टर फ्रेंडली डेस्टिनेशन बना रहे, सरकार लगातार आधार पर एफडीआई नीति की समीक्षा करती है। इंडस्ट्री के टॉप एसोसिएशन्स और इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों समेत तमाम स्टेकहोल्डर्स के साथ गहरे परामर्श के बाद समय-समय पर सरकार इसमें बदलाव करती है। इस साल जनवरी-सितंबर की अवधि में देश में एफडीआई फ्लो करीब 42 प्रतिशत बढ़कर 42.13 अरब डॉलर हो गया। एक साल पहले इसी अवधि में एफडीआई फ्लो 29.73 अरब डॉलर रहा था। अप्रैल-सितंबर 2024-25 में एफडीआई फ्लो 45 प्रतिशत बढ़कर 29.79 अरब अमरीकी डॉलर हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में ये 20.48 अरब अमरीकी डॉलर था। 2023-24 में कुल एफडीआई 71.28 अरब अमरीकी डॉलर रहा
था।
2025 में भी जारी रहेगा सिलसिला
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) में सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने कहा, ‘‘ प्रवृत्ति को देखते हुए देश 2025 में भी अच्छा एफडीआई आकर्षित करने का सिलसिला जारी रखेगा। ’’ उन्होंने कहा कि भारत विदेशी निवेश की लिमिट को बढ़ाकर, रेगुलेटर से जुड़ी समस्याओं को हटाकर, बेहतर इंफ्रा और बिजनेस के लिए माहौल में सुधार कर ग्लोबल इंवेस्टर्स के लिए अपनी इकोनॉमी को खोलना जारी रख रहा है। भारत में पिछले 10 साल (2014-2024) के दौरान कुल 991 अरब अमेरिकी डॉलर का एफडीआई फ्लो दर्ज किया गया, जिसमें से 67 प्रतिशत (667 अरब अमेरिकी डॉलर) हासिल हुआ।
ग्लोबल कंपनियों के लिए पसंदीदा इंवेस्टमेंट डेस्टिनेशन है भारत
मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर में एफडीआई इक्विटी फ्लो में 69 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई, जो 2004-2014 में 98 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2014-2024 में 165 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। इसी तरह के विचार शेयर करते हुए एक्सपर्ट्स ने कहा कि तमाम ग्लोबल चैलेंज के बावजूद भारत अभी भी ग्लोबल कंपनियों के लिए पसंदीदा इंवेस्टमेंट डेस्टिनेशन है।
पीटीआई इनपुट्स के साथ
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