विश्व बैंक (World Bank) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मौद्रिक नीति के कड़े होने के बीच दुनिया को 2023 में मंदी का सामना करना पड़ सकता है। वित्तीय संस्थान ने महंगाई को कम करने के लिए उत्पादन बढ़ाने और आपूर्ति बाधाओं को दूर करने का भी आह्वान किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक मंदी के कई संकेतक पहले से ही स्पष्ट हो चुके हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था अब 1970 के बाद से सबसे तेज मंदी की चपेट में आने जा रही है, जहां तक केंद्रीय बैंकों द्वारा वैश्विक ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सवाल है, तो वे महंगाई को महज 4 प्रतिशत तक नियंत्रण में रख सकती है।
मंदी से विकास दर पर पड़ेगा सीधा प्रभाव
वैश्विक विकास तेजी से धीमा हो रहा है, आगे और अधिक धीमा होने की संभावना है, क्योंकि मंदी से विकास दर पर सीधा प्रभाव पड़ता है। विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मलपास ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि मेरी गहरी चिंता यह है कि ये रुझान लंबे समय तक चलने वाले परिणामों के साथ बने रहेंगे, जो उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में लोगों के लिए विनाशकारी हैं।
अमेरिका में मंदी भारत के लिए अच्छी कैसे?
भारत में खुदरा महंगाई इस समय थोड़ी कम हुई है, हालांकि आरबीआई के ऊपरी बैंड से अधिक है। खुदरा (सीपीआई) महंगाई अप्रैल में 7.79 प्रतिशत से घटकर मई में 7.04 प्रतिशत और जून में 7.01 प्रतिशत तक आ पहुंची है। कमोडिटी की कीमतों में हालिया तेज गिरावट को देखते हुए यह गिरावट आगे भी बरकरार रह सकती है, लेकिन अनुमान है कि महंगाई दिसंबर 2022 तक बनी रहेगी और उसके बाद गिरावट आएगी। कमोडिटी की कीमतों में गिरावट उनके हाल के उच्चतम स्तर पर है। कच्चे तेल में 30 फीसदी की गिरावट आई है। एल्युमीनियम में 36 प्रतिशत, तांबा 21 प्रतिशत और स्टील की कीमतों में 19 प्रतिशत की कमी देखी गई है। कच्चे पाम तेल के दाम 1 साल के निचले स्तर पर है और सोयाबीन तेल 23 महीने के निचले स्तर पर है।
कच्चे तेल की कीमतों में आएगी गिरावट
अगर अमेरिका में मंदी आती है तो इसका सीधा फायदा उन देशों को मिलेगा जो अमेरिका से समान खरीदते हैं, क्योंकि जब मंदी किसी देश में आती है तो मांग कम हो जाती है और कंपनियां प्रोडक्ट के दाम में कमी करती हैं। तो जो देश वहां से समान खरीदता है उसे सस्ते में समान मिल जाता है। भारत अमेरिका समते कई देशों से कच्चे तेल खरीदता है। महंगाई आने से कच्चे तेल की कीमतों में और गिरावट आएगी। सिटीबैंक ने ब्रेंट क्रूड की कीमतों में लगभग 60 डॉलर की कमी आने का अनुमान लगाया है। अगर अमेरिका 2022 के अंत तक मंदी की चपेट में आ जाता है। क्रूड ऑयल सस्ता होने से भारत में बढ़ रही महंगाई को कम करने में मदद मिलेगी।
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