नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक समीक्षा में भले ही रेपो रेट में इजाफा नहीं किया है लेकिन नरम नीतिगत रुख को वापस लेने का संकेत दिया है। इसके साथ ही बाजार से 8 लाख करोड़ रुपये की लिक्विडिटी वापस लेने का ऐलान किया है। इसकी शुरुआत इसी साल होगी। बैंकिंग विशेषज्ञों का कहना है कि इसके असर आने वाले दिनों में दिखाई देना लगेगा। बैंक जमा पर ब्याज बढ़ाएंगे और लोन पर बढ़ाएंगे। यानी होम, कार समेत दूसरे लोन की ईएमआई बढ़ेगी।
शक्तिकांत दास ने क्या कहा?
मौद्रिक समीक्षा के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने नकदी की स्थिति में नए सिरे से संतुलन साधने के लिए कदम उठाए हैं। दास ने कहा कि पिछले दो वर्षों में रिजर्व बैंक ने 17.2 लाख करोड़ रुपये की तरलता सुविधाएं मुहैया कराईं जिसमें से 11.9 लाख करोड़ रुपये का इ्स्तेमाल किया गया। इस तरलता राशि में से पांच लाख करोड़ रुपये या तो लौटाए जा चुके हैं या वापस लिए जा चुके हैं लेकिन महामारी के दौरान उठाए गए कदमों से व्यवस्था में अब भी 8.5 लाख करोड़ रुपये का तरलता आधिक्य बना हुआ है। उन्होंने कहा, आरबीआई बाजार में तरलता को क्रमिक रूप से कुछ साल में वापस ले लेगा जिसकी शुरुआत इसी साल से होगी।
ग्राहक सेवाओं की समीक्षा के लिए समिति
रिजर्व बैंक ने विनियमित इकाइयों की ग्राहक सेवाओं में सुधार के लिए एक समिति का गठन करने की शुक्रवार को घोषणा की। यह समिति उपभोक्ता संरक्षण की समीक्षा करेगी और उसे मजबूत करने के उपाय सुझाएगी। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा, वित्तीय क्षेत्र में व्यापक बदलाव आया है। ऐसे में रिजर्व बैंक के नियमन वाली इकाइयों (आरई) की मौजूदा सेवाओं और ग्राहक सेवा नियमनों की अनुकूलता की समीक्षा के लिए एक समिति के गठन का प्रस्ताव है।
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