हिंदुजा समूह के चेयरमैन एस पी हिंदुजा का निधन, लंबी बीमारी के बाद 87 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस
हिंदुजा फैमिली ने 1919 में अपना कारोबारी सफर शुरू किया था। इसी साल हिंदुजा ग्रुप ने ईरान में अपना पहला इंटरनेशनल दफ्तर शुरू किया था।
हिंदुजा समूह के चेयरमैन और चार हिंदुजा भाइयों में सबसे बड़े श्रीचंद परमानंद हिंदुजा का बुधवार को लंदन में निधन हो गया। वह 87 साल के थे। हिंदुजा परिवार के एक प्रवक्ता ने उनके निधन की सूचना दी। हिंदुजा पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। पाकिस्तान के कराची में जन्मे श्रीचंद हिंदुजा ने बाद में ब्रिटेन की नागरिकता ले ली थी और वह लंदन में ही रहते थे।
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, "गोपीचंद, प्रकाश एवं अशोक हिंदुजा समेत समस्त हिंदुजा परिवार बड़े दुख के साथ सूचित कर रहा है कि परिवार के मुखिया एवं हिंदुजा समूह के चेयरमैन एस पी हिंदुजा का निधन हो गया है। उन्होंने यूके, जहां वे रहते थे, और भारत, अपनी होम कंट्री के बीच संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हमारे परिवार के संरक्षक के रूप में और हमारे दिवंगत पिता पीडी हिंदुजा के सिद्धांतों और मूल्यों को आगे बढ़ाने वाले, वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे।’’
संगम से मिली प्रसिद्धि
अविभाजित भारत के कराची में एक कारोबारी परिवार में जन्मे हिंदुजा ने कारोबारी दुनिया में पहली सफलता हिंदी फिल्म 'संगम' के अंतरराष्ट्रीय वितरण अधिकारों से पाई थी। इसके बाद उन्होंने अपने छोटे भाइयों के साथ मिलकर कामयाबी की कई इबारतें लिखीं। हालांकि उन्हें बोफोर्स घोटाले में नाम आने पर विवादों का भी सामना करना पड़ा था।
बोफोर्स घोटाले में आया नाम
एसपी हिंदुजा और उनके दो भाइयों पर बोफोर्स तोप खरीद में 64 करोड़ रुपये का गैरकानूनी कमीशन लेने का आरोप लगा था। हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय से तीनों हिंदुजा बंधुओं को साक्ष्यों के अभाव में वर्ष 2005 में आरोपमुक्त कर दिया गया था। उनकी पत्नी मधु का निधन गत जनवरी में 82 वर्ष की उम्र में हुआ था। उनके परिवार में दो बेटियां- शानू एवं वीनू हैं।
ईरान में खोला पहला दफ्तर
हिंदुजा के कारोबारी साम्राज्य की नींव उनके पिता परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने रखी थी। वह सिंध इलाके (अब पाकिस्तान में) में वस्तुओं का व्यापार करते थे लेकिन बाद में वह ईरान जाकर कारोबार करने लगे। युवा श्रीचंद ने 1964 में संगम फिल्म को पश्चिम एशियाई देशों में वितरित कर पहली बड़ी कामयाबी हासिल की। तेल कीमतों पर ईरान के शाह के साथ इंदिरा गांधी की असहमति गहराने के बाद हिंदुजा बंधुओं को वहां की सत्ता से भारतीय उत्पादों का ईरान को निर्यात बढ़ाने का प्रस्ताव मिला तो उन्होंने उसका पूरा फायदा उठाया और लौह अयस्क से लेकर जिंसों तक का कारोबार करने लगे।
1980 में किया अशोक लीलैंड का अधिग्रहण
वर्ष 1980 में उन्होंने भारत की ट्रक एवं बस विनिर्माता अशोक लीलैंड में हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया। इसके अलावा शेवरॉन कॉर्प से उन्होंने गल्फ ऑयल का भी नियंत्रण लेकर तेल एवं लुब्रिकेंट कारोबार में कदम रखा। एसपी हिंदुजा ने 1993 में इंडसइंड बैंक की शुरुआत कर बैंकिंग क्षेत्र में भी जगह बनाई। तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह को भी बैंक के उद्घाटन पर आमंत्रित किया गया था।
किसी भी भारतीय का पहला स्विस बैंक
उन्होंने स्विट्जरलैंड के जेनेवा में एसपी हिंदुजा बैंक प्रिवी की भी स्थापना की जो किसी भारतीय के स्वामित्व वाला इकलौता स्विस बैंक है। इस बैंक की शाखाएं ज्यूरिख, लंदन और दुबई में भी हैं जो बड़े उद्योगपतियों एवं उद्यमियों को निवेश परामर्श एवं संपत्ति प्रबंधन सेवाएं देता है।
विवादों से रहा है रिश्ता
भले ही हिंदुजा बंधु अपनी संपत्तियों के बारे में खुलकर चर्चा करने में परहेज करते रहे हैं लेकिन उनके बीच ब्रिटेन की अदालतों में पारिवारिक संपत्तियों को लेकर कानूनी झगड़े भी हुए हैं। वैसे यह परिवार अपने राजनीतिक रिश्तों को लेकर कुछ ज्यादा मुखर रहा है। इसके संबंध दुनिया के प्रमुख नेताओं से रहे हैं जिनमें ईरान के तत्कालीन शाह से लेकर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश सीनियर और पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर भी शामिल हैं। हिंदुजा बंधुओं ने वर्ष 2006 में लंदन की कार्लटन हाउस टेरेस स्ट्रीट पर 25 बेडरूम वाला एक बड़ा घर 5.8 करोड़ डॉलर में खरीदा था।