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Hindi News पैसा बिज़नेस संतरे के लिए अब नागपुर ही नहीं इस राज्य का भी आएगा जुबां पर नाम, 1800 हेक्टेयर में होगी खेती

संतरे के लिए अब नागपुर ही नहीं इस राज्य का भी आएगा जुबां पर नाम, 1800 हेक्टेयर में होगी खेती

खट्टे फल राज्य के मैदानी इलाकों में उगाए जाते हैं जहां अधिकतम तापमान 30 से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।

orange- India TV Paisa Image Source : FILE Oranges

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश उपोष्णकटिबंधीय बागवानी, सिंचाई और मूल्यवर्धन (शिवा) परियोजना के तहत संतरे के उत्पादन के लिए राज्य में 1,800 हेक्टेयर भूमि में खेती करने का प्रस्ताव किया है। यहां शनिवार को जारी बयान में बताया गया कि राज्य के बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने संतरे की खेती में माइक्रो-ग्राफ्टिंग तकनीक का अवलोकन करने के साथ साइट्रस पैथोलॉजी कार्यक्रम और राष्ट्रीय साइट्रस रिपॉजिटरी कार्यक्रम पर चर्चा की। प्रतिनिधिमंडल इस समय परियोजना के हिस्से के रूप में ऑस्ट्रेलिया के छह दिवसीय दौरे पर है। हिमाचल प्रदेश शिवा परियोजना को एशियाई विकास बैंक द्वारा वित्तपोषित किया गया है।

खट्टे फल राज्य के मैदानी इलाकों में उगाए जाते हैं जहां अधिकतम तापमान 30 से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की यह एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया से तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने और इस क्षेत्र में सुधार के मकसद से स्थानीय बागवानों का मार्गदर्शन करने के लिए इसका उपयोग किया जाएगा। इससे राज्य में उच्च गुणवत्ता वाले संतरे के पौधे तैयार करने में मदद मिलेगी। सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश कृषि-जलवायु परिस्थितियों की एक विस्तृत श्रृंखला से संपन्न है, जो बड़ी संख्या में सेब, खट्टे फल, आम, खुबानी जैसे फलों की फसलों के लिए वरदान साबित हुआ है।

किसानों की आय के साथ ही पौधों की उत्तरजीविता दर बढ़ाने के लिए नई तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। प्रतिनिधिमंडल ने अपनी यात्रा के दौरान ऑस्ट्रेलिया में पादप स्वास्थ्य प्रबंधन के क्षेत्र में अपनाई जा रही स्क्रीनिंग, परीक्षण, सफाई और रखरखाव की आधुनिक तकनीकों का अवलोकन किया और उनका अध्ययन किया। बयान के अनुसार, उन्होंने सिडनी में स्ट्रॉबेरी उद्योग प्रमाणन प्राधिकरण और एलिजाबेथ कृषि संस्थान की प्रयोगशालाओं का भी दौरा किया और नर्सरी पंजीकरण कार्यक्रमों के लिए आधुनिक तकनीकों पर चर्चा की।

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