Health Expensive Treatment: देश पर मंदी का असर देखा जाने लगा है। एक तरफ सरकार ने डीए हाइक कर सरकार कर्मचारियों को राहत दिया है तो दूसरे तरफ आम गरीब लोगों के इलाज को महंगा कर दिया है। दरअसल, सरकार ने हेल्थ से रिलेटेड सामान विदेशों से खरीदने पर लगने वाले टैक्स को बढ़ा दिया है। पहले जिसके लिए सरकार को 10% आयात(Import) शुल्क देना पड़ता था। अब वह बढ़कर 15% हो गई है। यह सभी तरह के प्रोडक्ट के लिए नहीं किया गया है। सरकार द्वारा जारी किए गए नए दिशानिर्देशों के मुताबिक, एक्स-रे मशीन और नॉन-पोर्टेबल एक्स-रे जनरेटर के आयात पर सीमा शुल्क बढ़ाया गया है। यह बढ़ोतरी एक अप्रैल से लागू होगी। अभी एक्स-रे मशीन और नॉन-पोर्टेबल एक्स-रे जनरेटर और सामान पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लगता है। इसका असर आम लोगों पर पड़ेगा। उन्हें अब एक्स-रे कराने पर पहले से अधिक पैसे खर्च करने पड़ेंगे।
इससे मेक इन इंडिया को मिलेगा प्रोत्साहन
सीमा शुल्क की दरों में बदलाव गत शुक्रवार को लोकसभा में पारित वित्त विधेयक 2023 में संशोधनों के तहत है। ये संशोधन एक अप्रैल 2023 से लागू होंगे। एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा कि इसका मकसद देश में विनिर्माण की अड़चनों को दूर करना है। इससे मेक इन इंडिया को प्रोत्साहन मिलेगा और आयात पर निर्भरता को कम किया जा सकेगा। बता दें कि भारत का वार्षिक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) लगभग दोगुना होकर 83 बिलियन डॉलर हो गया है। 8 साल पहले इस स्कीम को लाया गया था। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, 2014-2015 में एफडीआई 45.15 अरब डॉलर था। वहीं वर्ष 2021-22 में 83.6 अरब डॉलर का अब तक का सबसे अधिक एफडीआई दर्ज किया गया था।
2021-22 में दर्ज हुई अब तक की सबसे अधिक FDI
मंत्रालय के अनुसार, विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए सरकार ने एक उदार और पारदर्शी नीति बनाई है, जिसमें अधिकांश क्षेत्र स्वचालित मार्ग के तहत एफडीआई के लिए खुले हैं। वर्ष 2021-22 ने उच्चतम एफडीआई को 83.6 अरब डॉलर में दर्ज किया। यह एफडीआई 101 देशों से आया है, जिसे 31 राज्यों और यूटीएस और देश के 57 क्षेत्रों में निवेश किया गया है। हाल के वर्षो में आर्थिक सुधारों और 'व्यापार करने में आसानी' की पीठ पर, भारत चालू वित्तीय वर्ष में 10 अरब डॉलर एफडीआई को आकर्षित करने के लिए ट्रैक पर है।
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