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Hindi News पैसा बिज़नेस बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के सामने आई साबुन बनाने वाली ये कंपनी, यूं अटका रही थी रोड़ा

बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के सामने आई साबुन बनाने वाली ये कंपनी, यूं अटका रही थी रोड़ा

मुंबई से अहमदाबाद के बीच कुल 508.17 किलोमीटर की रेल की पटरी में से 21 किलोमीटर भूमिगत रहेगी। भूमिगत सुरंग का एक प्रवेश बिंदु विखरोली में गोदरेज की जमीन पर पड़ता है।

Bullet Train- India TV Paisa Image Source : FILE Mumbai-Ahmedabad bullet train project

पूरे देश को भारत में बुलेट ट्रेन शुरू होने का इंतजार है, लेकिन ये प्रोजेक्ट बहुत ही धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। दरअसल इस महत्वाकांक्षी मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के रास्ते में देश का मशहूर कारोबारी समूह गोदरेज आ खड़ा हुआ था। मुंबई के विखरोली में गोदरेज एंड बॉयस ग्रुप की जमीन थी, जहां ​बुलेट ट्रेन की सुरंग का प्रवेश द्वार है। सरकार ने इस जमीन का अधिग्रहण किया है जिसके खिलाफ गोदरेज ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। बंबई हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज करते हुए बुलेट ट्रेन की राह से सबसे बड़ा रोड़ा हटा दिया है। 

क्या है मामला 

बंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए महाराष्ट्र सरकार और एनएचएसआरसीएल द्वारा मुंबई के विखरोली क्षेत्र में शुरू किए गए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ गोदरेज एंड बॉयस द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि यह परियोजना राष्ट्रीय महत्व की है और जनता के भले के लिए है। न्यायमूर्ति आरडी धानुका और न्यायमूर्ति एमएम सथाये की खंडपीठ ने कहा कि परियोजना अपने आप में अनूठी है और सार्वजनिक हित को निजी हित पर वरीयता मिलेगी।

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यूं रोड़ा अटका रही थी गोदरेज 

मुंबई से अहमदाबाद के बीच कुल 508.17 किलोमीटर की रेल की पटरी में से 21 किलोमीटर भूमिगत रहेगी। भूमिगत सुरंग का एक प्रवेश बिंदु विखरोली में गोदरेज की जमीन पर पड़ता है। राज्य सरकार और राष्ट्रीय उच्च गति रेल निगम लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) ने दावा किया था कि कंपनी के कारण पूरी परियोजना में देरी हो रही है, जबकि परियोजना जनता के लिए महत्वपूर्ण है। 

264 करोड़ का मिला मुआवजा 

सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया था कि गोदरेज एंड बॉयस मेन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड के विखरोली क्षेत्र में स्थित क्षेत्र को छोड़कर परियोजना के पूरे मार्ग के लिए अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। राज्य सरकार ने अदालत को पहले बताया था कि वह पहले ही पिछले साल अक्टूबर में कंपनी को 264 करोड़ रुपये का मुआवजा दे चुकी है। गोदरेज एंड बॉयस ने उसे मुआवजा देने के महाराष्ट्र सरकार के 15 सितंबर, 2022 को जारी आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी।

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