गुजरात सरकार ने बुधवार को अपनी नई कुटीर एवं ग्रामोद्योग नीति की घोषणा की। नई नीति के तहत राज्य में इकाइयां स्थापित करने के लिए कारीगरों और उद्यमियों को अधिक ऋण एवं सब्सिडी की पेशकश की गई है। कुटीर उद्योग मंत्री बलवंत सिंह राजपूत ने गांधीनगर में नीति का अनावरण करते हुए कहा कि इससे पांच साल में लगभग 12 लाख नए रोजगार के अवसरों का सृजन होगा। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पिछली योजना की पांच साल की वैधता समाप्त होने के बाद नई नीति पेश की गई है।
8 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये की कर्ज की रकम
मंत्री ने कहा, “नई कुटीर नीति-2024 पांच वर्षों तक लागू रहेगी। इसका उद्देश्य एक आत्मनिर्भर कुटीर उद्योग क्षेत्र विकसित करना और कारीगरों के लिए स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों के दरवाजे खोलना है।” राजपूत ने कहा कि नीति के तहत राज्य कारीगरों को ऋण और बाजार समर्थन उपलब्ध कराने की दिशा में काम करेगा तथा बुनियादी ढांचे, कौशल, टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन और इनोवेशन पर ध्यान केंद्रित करेगा। बयान में कहा गया कि नए उद्योगों और कारोबार को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने इस योजना के तहत अधिकतम कर्ज राशि को मौजूदा आठ लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया है।
बढ़ाकर 3.75 लाख रुपये की सब्सिडी
योजना के तहत सब्सिडी 1.25 लाख रुपये से बढ़ाकर 3.75 लाख रुपये कर दी गई है। ‘दत्तोपंत ठेंगड़ी कारीगर ब्याज सब्सिडी योजना’ के तहत हथकरघा और हस्तशिल्प कारीगरों के लिए अधिकतम ऋण राशि एक लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये कर दी गई है। बयान में कहा गया है कि अगले पांच साल में लगभग 60,000 सूक्ष्म उद्यमियों को उनका कौशल बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। बयान के अनुसार, गुजरात सरकार के विभिन्न बोर्ड और निगमों से जुड़े कारीगर अब 460 करोड़ रुपये के हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पाद बेचते हैं। इस नीति की मदद से राज्य सरकार ने अगले पांच वर्षों में इसे 1,500 करोड़ रुपये तक ले जाने का लक्ष्य रखा है। इसमें कहा गया है कि ‘एक जिला, एक उत्पाद’ योजना के तहत राज्य ने 10,000 लाभार्थियों को शामिल करने का लक्ष्य रखा है।
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