GST on Petrol and Diesel: बढ़ती महंगाई के बीच पेट्रोल और डीजल के दामों को लेकर लोगों को जल्द बड़ी राहत मिल सकती है। अगर पट्रोल और डीजल (Petrol Diesel) माल और सेवा कर (जीएसटी) में आ जाता है तो इसकी कीमत एक झटके में 20 से 25 रुपए प्रति लीटर तक कम हो जाएगी। गौरतलब है कि, अब तक राज्य और केंद्र सरकार के बीच इस मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई है। वहीं सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में बताया कि घरेलू गैस (एलपीजी) को केवल 5 प्रतिशत के सबसे कम स्लैब में रखा गया है।
सरकार ने गुरुवार को कहा कि उसने घरेलू गैस (एलपीजी) को केवल पांच प्रतिशत के सबसे कम स्लैब में रखते हुए माल और सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में शामिल किया है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में वांगा गीता विश्वनाथ और कोथा प्रभाकर रेड्डी के प्रश्न के लिखित उत्तर में यह भी कहा कि देश में पेट्रोलियम उत्पादों के मूल्य अंतरराष्ट्रीय बाजार में संबंधित उत्पादों के मूल्य से जुड़े हुए हैं।
उनसे पूछा गया था, ‘‘क्या यह सत्य है कि दक्षिणी क्षेत्र के राज्यों सहित कुछ राज्यों में रिफाइनरियों से तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) लाने के लिए पाइपलाइनों के न होने से यह उपभोक्ताओं के लिए महंगी पड़ रही है?’’ मंत्री ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय मूल्यों में वृद्धि के प्रभाव से आम आदमी को बचाने के लिए सरकार घरेलू एलपीजी के उपभोक्ता के लिए प्रभावी मूल्य को आवश्यकतानुसार घटाती-बढ़ाती रहती है। इसके अलावा सरकार ने एलपीजी को केवल पांच प्रतिशत के सबसे कम स्लैब में रखते हुए इसे माल और सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में शामिल कर दिया है।’’
आने वाले दिनों में कमाई घटने की चिंता बरकरार है- जीएसटी काउंसिल
जीएसटी काउंसिल ने एक बार फिर से पेट्रोल-डीजल को जीएसटी (GST on Petrol and Diese) के दायरे में लाने के मामले को टाल दिया है। जीएसटी काउंसिल (GST Council) ने कहा है कि, 'कोरोना अभी तक पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में, आने वाले दिनों में कमाई घटने की चिंता बरकरार है।' SBI की रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी के दायरे में आने के बाद पेट्रोल करीब 20-25 रुपए और डीजल करीब 20 रुपए तक सस्ता हो जाएगा, यानी आम जनता को इससे बड़ी राहत मिलेगी।
राज्य सरकारों को होता है मुनाफा
बता दें कि, राज्यों की अधिकतर आय डीजल-पेट्रोल पर लगाए जाने वाले टैक्स से ही होती है, इसलिए राज्य पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध कर रहे हैं। इससे केंद्र सरकार को भी करीब 1 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा, जो जीडीपी के 0.4 फीसदी के बराबर है।
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